देश में हर दिन 474 लोगों की सड़क हादसे में मौत, सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार

punjabkesari.in Tuesday, Sep 02, 2025 - 02:40 AM (IST)

नई दिल्ली: भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर राष्ट्रीय आपदा का रूप ले चुकी हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ‘सड़क दुर्घटना रिपोर्ट 2023’ के मुताबिक, बीते वर्ष 1,72,894 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई, जो हर दिन औसतन 474 मौतों के बराबर है। यह आंकड़ा साल 2022 (1.68 लाख मौतें) की तुलना में 2.6% अधिक है।

मुख्य आंकड़े – भयावह सच्चाई

  • कुल सड़क हादसे: 4.8 लाख से अधिक

  • कुल मौतें: 1,72,894

  • कुल घायल: 4.4 लाख से अधिक

  • हर घंटे लगभग 20 मौतें

  • हर दिन 26 बच्चों की मौत

प्रमुख कारण: तेज रफ्तार और लापरवाही बनी मौत की वजह

  • ओवरस्पीडिंग सबसे बड़ा कारण है — कुल मौतों में से 68% से अधिक तेज रफ्तार के चलते हुईं।

  • कुल हादसों में से 68.4% दुर्घटनाएं और 69.2% घायल इसी वजह से दर्ज हुए।

  • यह दर हालांकि 2020 में 69.3% थी — यानि इसमें थोड़ी गिरावट, लेकिन खतरा बना हुआ है।

हेलमेट और सीट बेल्ट का न पहनना बना जानलेवा

  • दोपहिया सवारों की मौतें: 54,568

    • इनमें से 39,160 चालक और 15,408 पीछे बैठे यात्री थे, जिन्होंने हेलमेट नहीं पहना था।

    • यह कुल मौतों का 31.6% है।

  • सीट बेल्ट नहीं पहनने से मौतें: 16,025

    • इनमें 8,441 ड्राइवर और 7,584 यात्री थे।

    • यह कुल का 9.3% है।

शराब पीकर गाड़ी चलाना: अब भी चिंता का कारण

  • 2023 में 3,674 मौतें शराब या नशे में गाड़ी चलाने के कारण हुईं।

  • 7,253 लोग घायल हुए।

  • यह कुल मौतों का 2.1% है, हालांकि 2022 की तुलना में इसमें 12.5% की गिरावट आई है (2022 में 4,201 मौतें)।

हिट एंड रन और गड्ढों से मौतें: गैर-जिम्मेदार ड्राइविंग का खतरनाक चेहरा

  • हिट एंड रन के मामले: 68,783

    • मौतें: 31,209

  • गड्ढों से मौतें: 2,161 (2022 की तुलना में 16.4% बढ़ोतरी)

राज्यों और शहरों की स्थिति

सबसे अधिक मौतें

  • उत्तर प्रदेश: 23,652 मौतें (2022 में 22,595)

  • तमिलनाडु और महाराष्ट्र इसके बाद

  • दिल्ली (शहरों में): 1,457 मौतें – सबसे अधिक

सबसे कम मौतें

  • अंडमान-निकोबार द्वीप समूह: केवल 24 मौतें

बड़े शहरों में मौतें

  • बेंगलुरु: 915

  • जयपुर: 849

  • अमृतसर, चंडीगढ़, श्रीनगर में सबसे कम

पैदल यात्रियों और दोपहिया सवारों पर सबसे ज्यादा खतरा

  • पैदल चलने वालों की मौतें: 35,221 (20.4%)

  • दो-पहिया सवारों की मौतें: 44.8%

  • दोनों को मिलाकर ये हादसों में 65.1% मौतों का कारण हैं।

2016 से अब तक:

  • पैदल यात्रियों की मौतें 124% बढ़ीं

  • दोपहिया सवारों की मौतें 48% बढ़ीं

हाईवे पर सबसे ज्यादा जानलेवा हादसे

  • सड़क नेटवर्क का सिर्फ 4.9%, लेकिन

    • 59.3% मौतें यहीं होती हैं

    • राष्ट्रीय राजमार्ग: 36.5%

    • राज्य राजमार्ग: 22.8%

किस उम्र के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित?

  • 18 से 45 वर्ष के युवा: कुल मौतों का 66.4%

  • कामकाजी उम्र (18-60 वर्ष): 83.4%

  • बच्चे (0-18 वर्ष): 9,489 मौतें (हर दिन 26 बच्चे)

विशेष टिप्पणी: नियमों के पालन और इन्फ्रास्ट्रक्चर की बड़ी खामियां

सेव लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक पीयूष तिवारी ने कहा: "सरकार ने सड़क सुरक्षा के कई प्रयास किए हैं, लेकिन धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाया। जागरूकता तो है, लेकिन सख्त अनुपालन नहीं।"

उन्होंने बताया:

  • सड़कें खराब हैं, लेन मार्किंग साफ नहीं

  • पैदल यात्रियों के लिए कोई स्पष्ट स्थान नहीं

  • हाईवे मीडियन में गैप हैं, शार्प टर्न पर साइन नहीं

  • खुले में रखे खतरनाक ऑब्जेक्ट्स से भी दुर्घटनाएं हो रही हैं

 उपाय: सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता

  • ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन

  • सड़क इंजीनियरिंग और डिज़ाइन में सुधार

  • ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करना

  • हेलमेट और सीट बेल्ट का 100% अनुपालन

  • जनजागरूकता अभियान और पुलिस निगरानी सख्त हो


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Content Writer

Pardeep

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