सिगरेट न पीने वाले भी हो रहे हैं लंग कैंसर का शिकार, नई स्टडी में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2025 - 03:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आमतौर पर यह माना जाता है कि धूम्रपान करने से लंग कैंसर का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन अब धूम्रपान न करने वाले लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हाल ही में लैंसेंट की एक नई रिसर्च ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि अब धूम्रपान न करने वालों में भी लंग कैंसर (फेफड़ों का कैंसर) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस बढ़ते हुए खतरे के लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
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वायु प्रदूषण से बढ़ रहा है खतरा
लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, जो लोग सिगरेट, बीड़ी या हुक्का नहीं पीते हैं, उन्हें भी लंग कैंसर हो सकता है। स्टडी में यह पाया गया कि बिना धूम्रपान वाले लोग जिनमें लंग कैंसर के मामले बढ़े हैं, उनका मुख्य कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। इस रिसर्च को इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) और डब्ल्यूएचओ (WHO) के वैज्ञानिकों ने किया है। इसमें ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के डेटा का विश्लेषण किया गया। स्टडी में यह सामने आया कि बिना धूम्रपान करने वाले लोगों में "एडेनोकार्सिनोमा" नामक लंग कैंसर सबसे अधिक पाया जा रहा है।

एडेनोकार्सिनोमा: एक प्रमुख प्रकार
एडेनोकार्सिनोमा एक प्रकार का लंग कैंसर है, जो उन ग्लैंड्स में विकसित होता है जो शरीर में बलगम और पाचन से जुड़े तरल पदार्थ बनाते हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि इस प्रकार का कैंसर धूम्रपान करने वालों से कम संबंधित है, लेकिन वायु प्रदूषण इसका मुख्य कारण हो सकता है।
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धूम्रपान न करने वालों में बढ़ते कैंसर के मामले
स्टडी में यह पाया गया कि 2022 में दुनिया भर में जितने भी कैंसर के मामले सामने आए, उनमें 53-70% ऐसे लोग थे, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था। यह आंकड़ा काफी हैरान करने वाला है, क्योंकि यह दिखाता है कि धूम्रपान न करने वाले लोग भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं।

मौतों में धूम्रपान न करने वालों का बड़ा हिस्सा
लैंसेट की रिपोर्ट में बताया गया कि लंग कैंसर से होने वाली कुल मौतों में धूम्रपान न करने वालों का 20% हिस्सा था। एशियाई देशों में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर महिलाओं में। साल 2022 में करीब 80,000 महिलाओं को लंग कैंसर हुआ, जिनका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से पाया गया। रिसर्चर्स का मानना है कि लंग कैंसर के बढ़ते मामलों में वायु प्रदूषण का महत्वपूर्ण योगदान है। विशेष रूप से पीएम 2.5 जैसे छोटे प्रदूषक कण जो हवा में होते हैं, वे फेफड़ों में गहरे तक जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
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सरकारों की भूमिका
आईएआरसी के वैज्ञानिक फ्रेडी ब्रे ने कहा, "आजकल लंग कैंसर के जो मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, उनका मुख्य कारण धूम्रपान की बदलती आदतें और वायु प्रदूषण है।" उनका मानना है कि इस समस्या से बचने के लिए सरकारों को तंबाकू नियंत्रण और वायु प्रदूषण नियंत्रण नीतियां लागू करनी चाहिए, ताकि लोगों को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सके। इस स्टडी ने यह स्पष्ट किया है कि लंग कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वालों के लिए नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण से प्रभावित सभी लोगों के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है।


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Content Editor

Harman Kaur

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