यूरोप को उस मानसिकता से बाहर आना होगा कि उसकी समस्या दुनिया की समस्या है : जयशंकर
punjabkesari.in Friday, Jun 03, 2022 - 10:29 PM (IST)
नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत के चीन के साथ रिश्ते असहज हैं, लेकिन हम इनके प्रबंधन में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने यूरोप के उस विचार को खारिज कर दिया कि अगर चीन के साथ भारत की समस्या बढ़ती है तब यूक्रेन पर भारत के रूख के कारण उसे वैश्विक समर्थन प्राप्त करने में परेशानी आ सकती है।
LOL, hope the European Union has an ambulance handy. (Watch full). pic.twitter.com/3PPZDLKz0V
— Shiv Aroor (@ShivAroor) June 3, 2022
स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन को इस बारे में कहीं और से मिसाल की जरूरत नहीं है कि हमे कैसे शामिल करे या न करे या फिर हमारे साथ असहज रहे या असहज न रहे।
उन्होंने कहा कि यूरोप को उस मानसिकता से बाहर निकालना होगा कि उसकी समस्याएं पूरे दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्या, यूरोप की समस्या नहीं है। जयशंकर की सख्त लहजे वाली यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय देशों द्वारा भारत को लगातार इस बात के लिए मनाने का प्रयास किया जा रहा है कि वह यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करे। इनका यह तर्क है कि भविष्य में भारत को चीन से ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ आप जिस जुड़ाव की बात कर रहे हैं, हमारे चीन के साथ संबंध असहज हैं और हम इनके प्रबंधन में पूरी तरह से सक्षम हैं। अगर मुझे इस बारे में वैश्विक बोध और समर्थन प्राप्त होता है, तब स्वभाविक रूप से इससे मुझे मदद मिलेगी।'' उन्होंने कहा कि लेकिन यह विचार कि मैं एक संघर्ष में शामिल हो जांऊ क्योंकि इससे मुझे दूसरे संघर्ष में मदद मिलेगी...इस प्रकार से दुनिया नहीं चलती है। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ हमारी कई समस्याओं का यूक्रेन से कोई लेनादेना नहीं है और न ही इसका रूस से ही कोई लेनादेना है।
विदेश मंत्री से पूछा गया था कि क्या आप समझते हैं कि अगर चीन के साथ कोई समस्या होती है तब कोई भारत की मदद करेगा, अगर वह यूक्रेन को लेकर दूसरों की सहायता नहीं करता है। जयशंकर ने कहा कि आज इस बारे में एक कड़ी बनाई जा रही है। चीन एवं भारत तथा यूकेन के घटनाक्रम के बीच संबंध जोड़े जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच जो कुछ हुआ है, वह यूक्रेन से काफी पहले हुआ और चीन को इस विषय में कहीं और से मिसाल लेने की जरूरत नहीं है। जयशंकर ने कहा कि एशिया के कई घटनाक्रम पर यूरोप ने चुप्पी साधे रखी थी । उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि हम शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के पक्ष में हैं।