EPFO: 25,000 रुपये हो सकती है PF की सैलरी लिमिट, नियम में हो सकते हैं बड़े बदलाव

punjabkesari.in Tuesday, Oct 28, 2025 - 09:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जल्द ही कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में अनिवार्य सदस्यता की वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति माह करने पर विचार कर रहा है। यह बदलाव आने वाले महीनों में लागू हो सकता है, जिससे देश के एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ अनिवार्य रूप से मिलेगा।

ईपीएफओ का केंद्रीय न्यासी बोर्ड अपनी अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगा, जो संभवतः दिसंबर या जनवरी में आयोजित होगी। यहां अंतिम मंजूरी दी जा सकती है। वर्तमान में, 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक मूल वेतन वाले कर्मचारियों के पास ईपीएफ और ईपीएस से बाहर निकलने का विकल्प होता है। नियोक्ताओं को ऐसे कर्मचारियों को इन योजनाओं में शामिल करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

एक करोड़ से ज्यादा को होगा फायदा
श्रम मंत्रालय के एक आंतरिक आकलन के अनुसार, वेतन सीमा में 10,000 रुपये की यह वृद्धि एक करोड़ से अधिक लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ अनिवार्य बना देगी। एक अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया कि श्रमिक संघ लंबे समय से इस मांग को उठा रहे हैं, क्योंकि कई महानगरों में निम्न या मध्यम-कुशल श्रमिकों का मासिक वेतन 15,000 रुपये से अधिक हो चुका है। नई सीमा उन्हें ईपीएफओ की योजनाओं का हिस्सा बनाएगी।

मौजूदा नियम क्या कहते हैं?
वर्तमान नियमों के तहत, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को कर्मचारी के वेतन का 12-12 प्रतिशत योगदान करना अनिवार्य है। कर्मचारी का पूरा 12 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जाता है, जबकि नियोक्ता का 12 प्रतिशत ईपीएफ (3.67 प्रतिशत) और ईपीएस (8.33 प्रतिशत) के बीच विभाजित होता है।

अधिकारियों का कहना है कि वेतन सीमा बढ़ने से ईपीएफ और ईपीएस कोष में तेजी से वृद्धि होगी। इससे रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन में इजाफा होगा और ब्याज सहित ऋण संचय भी बढ़ेगा। फिलहाल, ईपीएफओ का कुल कोष लगभग 26 लाख करोड़ रुपये है और इसके सक्रिय सदस्यों की संख्या करीब 7.6 करोड़ है।

कैसे होगा फायदा?
विशेषज्ञों के अनुसार, वेतन सीमा को 25,000 रुपये करने का यह प्रस्ताव सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करने और इसे मौजूदा वेतन स्तरों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत के कार्यबल के बड़े हिस्से को लंबी अवधि की वित्तीय सुरक्षा और रिटायरमेंट लाभ मिलेंगे, जो बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता के दौर में बेहद जरूरी हो गए हैं।


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Content Editor

Shubham Anand

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