चुनाव आचार संहिताः कॉलर ट्यून, रिंगटोन और SMS से प्रचार करना पड़ सकता है भारी

punjabkesari.in Sunday, Oct 21, 2018 - 08:21 PM (IST)

नेशनल डेस्कः मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू हो गई है। अब अगर किसी राजनीतिक दल का नेता या प्रत्याशी बिना अनुमति के किसी के घर झंडा, बैनर या पोस्टर लगाता है या फिर मोबाइल पर SMS भेजकर वोट की अपील करता है. तो यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।

निजी मकान पर झंडा, बैनर या पोस्टर लगाना है आचार संहिता का उल्लंघन
भारतीय चुनाव आयोग के पूर्व कानूनी सलाहकार एसके मेंहंदीरत्ता ने बताया कि अगर कोई प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान बिना पूछे किसी के निजी मकान या प्लॉट पर किसी राजनीतिक दल का झंडा, बैनर या पोस्टर लगाता है, तो यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामलों में IPC की धारा 171H के तहत कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने बताया कि किसी भी निजी प्रॉपर्टी पर चुनाव प्रचार सामग्री लगाने के लिए मकान मालिक की लिखित अनुमति लेना आवश्यक है। यह नियम समर्थकों, एजेंट और कार्यकर्ताओं पर भी लागू होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्याशी को अनुमति की फोटोकॉपी चुनाव अधिकारी को तीन दिन के भीतर सौंपनी होगी। 

सरकारी भवनों पर नहीं लगा सकते झंडा
वहीं अगर सार्वजनिक जगहों पर झंडा, बैनर या पोस्टर लगाता है, तो इसके लिए उम्मीदवार को चुनाव आयोग से अनुमति लेना जरूरी है। सरकारी भवनों पर संपत्ति विरूपण होने पर संबंधित विभाग के साथ-साथ राजनीतिक दल और उसके उम्मीदवार को चुनाव आयोग नोटिस जारी कर सकता है। सरकारी भवनों पर किसी प्रकार की चुनाव सामग्री कट-आउट, होर्डिंग इत्यादि लगाना आचार संहिता का उल्लंघन है। 

पार्टी ऑफिस पर लगा सकते हैं सिर्फ एक झंडा
मेहंदीरत्ता के अनुसार, राजनीतिक दलों को पार्टी ऑफिस खोलने के लिए भी चुनाव आयोग से लिखित मंजूरी लेना आवश्यक है। वहीं यह ऑफिस धार्मिक स्थल, शैक्षिक संस्थान और अस्पताल से 200 मीटर की दूरी पर होना चाहिए। इसके अलावा राजनीतिक दल के दफ्तर के बाहर पार्टी निशान के साथ केवल एक झंडा, एक पोस्टर और 4*8 फुट का बैनर ही लगाया जा सकता है। इसके अलावा चुनावी सभा, चुनावी जुलूस और प्रचार वाहन पर झंडा लगाने के लिए निर्वाचन कार्यालय से अनुमति लेना जरूरी है। पूर्व सलाहकार ने बताया, आचार संहिता के तहत दोपहिया वाहन पर एक झंडा और चार पहिया वाहन पर एक पोस्टर, एक बैनर और एक झंडा लगाया जा सकता है। साथ ही, किसी एक जगह पर वाहन खड़े रखने की बजाय प्रत्याशियों को घूमते वाहनों में लाउड स्पीकर से चुनाव प्रचार करना आवश्यक है।

कॉलिंग ट्यून से चुनाव करना आचार संहिता का उल्लघंन
चुनाव आयोग के पूर्व कानूनी सलाहकार ने  बताया कि अगर टेलिकॉम कंपनियां किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी की वोटरों को लुभाने वाली कॉलर ट्यून और रिंगटोन सुनाती हैं, तो यह प्रचार का हिस्सा माना जाएगा। राजनीतिक दलों की तरफ से भेजे जाने वाले एसएमएस भी प्रचार का हिस्सा होते हैं, जिनके लिए आयोग की पूर्वानुमति आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2004 को दिए दिशा-निर्देशों में इसे प्रचार का हिस्सा माना है। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने नमो कॉलर ट्यून और 2016 में उत्तर प्रदेश चुनावों के दौरान "मेरा देश बदल रहा है" जैसी रिंगटोन जारी की थी, जिसपर कई विपक्षी राजनीति दलों ने चुनाव आयोग से आपत्ति जाहिर करते हुए चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया था ।


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Yaspal

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