प्रसार भारती या प्रचार भारती ? DD का केसरिया लोगो देख भड़क उठा विपक्ष

punjabkesari.in Saturday, Apr 20, 2024 - 03:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन ने अपने ऐतिहासिक लोगो का रंग लाल से बदलकर केसरिया कर दिया है। इस कारण देश की अदालतों, एजेंसियों के बाद अब दूरदर्शन विपक्ष के निशाने पर आ गया है। इसकी वजह उसका ऐतिहासिक लोगो है। पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन ने अपने लोगों का रंग लाल से बदलकर केसरिया (भगवा या नारंगी) कर दिया है। 

इस सबंध में डीडी न्यूज के आधिकारिक एक्स हैंडल से घोषणा की गई, जिसमें एक पोस्ट में कहा गया था, 'हालांकि हमारे मूल्य वही हैं, हम अब एक नए अवतार में उपलब्ध हैं। एक ऐसी समाचार यात्रा के लिए तैयार हो जाइए जो पहले कभी नहीं देखी गई। बिल्कुल नए डीडी न्यूज का अनुभव करें।' हालांकि, विपक्ष इस बदलाव से नाराज दिख रहा है। इस संबंध में दूरदर्शन के अंग्रेजी समाचार चैनल डीडी न्यूज ने हाल ही में एक्स पर एक नया प्रमोशनल वीडियो साझा करते हुए लोगो का खुलासा किया। डीडी न्यूज ने एक पोस्ट में लिखा कि सिर्फ लोगो का रंग बदला है, हालांकि हमारे मूल्य वही हैं। हम अब एक नए अवतार में उपलब्ध हैं।

एक ऐसी समचार यात्रा के लिए हो जाइए तैयार जो पहले कभी नहीं देखी गई बिल्कुल नए डीडी न्यूज का अनुभव करें। हालांकि विपक्ष को यह बदलाव रास नहीं आया है। दूरदर्शन ने अपना नया लोगो ऐसे समय बदला है, जब देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। इसलिए उसे आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रसार भारती (डीडी, एआईआर) के पूर्व सीईओ, जवाहर सरकार ने लोगो बदले की आलोचना करते हुए इसे 'दूरदर्शन का भगवाकरण' बताया। 

उन्होंने एक्स पर लिखा, 'राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन ने अपने ऐतिहासिक फ्लैगशिप लोगो को भगवा रंग में रंग दिया है! इसके पूर्व सीईओ के रूप में, मैं इसके भगवाकरण को चिंता के साथ देख रहा हूं और महसूस कर रहा हूं- यह अब प्रसार भारती नहीं है - यह प्रचार भारती है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि दूरदर्शन के लोगो का रंग बदलना सरकारी संस्थानों पर कब्जा करने का सरकार का प्रयास है। बता दें कि वह यूपीए सरकार के दौरान 2012 से 2014 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे हैं। 

पूर्व सीईओ ने बताया आचार संहिता का उल्लंघन
जवाहर सरकार ने 2012 से 2016 तक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो की देखरेख करने वाली वैधानिक संस्था प्रसार भारती के सीईओ के रूप में कार्य किया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रसारक ने अपनी ब्रांडिंग के लिए भगवा रंग चुना है, यह देखना काफी अनुचित। उन्होंने इस कदम को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी बताया। 

'संस्थानों पर कब्जे का प्रयास कर रही यह सरकार'
उक्त कदम स्पष्ट रूप से भारत के पब्लिक ब्रॉडकास्टर की तटस्थता और विश्वसनीयता को कमजोर करता है।' बीजेपी के आंध्र प्रदेश राज्य उपाध्यक्ष ने कहा, 'जब दूरदर्शन 1959 में लॉन्च किया गया था, तो इसका लोगो भगवा था। सरकार ने मूल लोगो को ही अपनाया है, तो लिबरल्स और कांग्रेस नाराजगी जता रहे हैं। यह स्पष्ट करता है कि वे भगवा और हिंदुओं के प्रति घृणा रखते हैं।' उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने विपक्षी नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा, 'भगवा से इतनी नफरत है इन लोगों को भगवा रंग का आनंद ये लोग नहीं ले सकते ये लोग सिर्फ तुष्टिकरण करने वाले लोग है।'

लोगो का रंग नारंगी न कि भगवा
दूरदर्शन के कदम का बचाव करते हुए प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने कहा 'नारंगी रंग का नया लोगो देखने में आकर्षक है और यह बदलाव विजुअल एस्थेटिक को ध्यान में रखते हुए किया गया है। लोगो का रंग नारंगी है न कि भगवा। उन्होंने कहा, 'सिर्फ लोगो में ही बदलाव नहीं हुआ है, बल्कि हमने डीडी के पूरे लुक और फील को अपग्रेड किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग इस बारे में अर्नगल टिप्पणी कर रहे हैं। हम पिछले छह-आठ महीने डीडी के लुक और फील को बदलने पर काम कर रहे थे।' इस बीच, प्रसार भारती के सूत्रों ने आजतक को बताया कि नए लोगो को बीजेपी से जुड़े रंग के रूप में देखना 'गलत' है। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में दूरदर्शन ने अपने लोगो का रंग बदलकर नीला, पीला और लाल किया है। हालांकि, लोगो में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दो पंखुड़ियां और उनके बीच में ग्लोब पहले की तरह ही बने हुए हैं।'

क्या पहले भी हुए बदलाव? 
दूरदर्शन ने अपने लोगों के रंग में कई बार बदलाव किया है। कभी यह नीला रंग का था तो कभी पीला और लाल। हालांकि लोगो में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दो पंखुड़ियों के बीच में ग्लोब पहले की तरह बने हुए हैं। 

दूरदर्शन का इतिहास
दूरदर्शन को पहली बार पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के रूप में 15 सितंबर, 1959 को प्रसारित किया गया था। यह 1965 में सुबह और शाम के शो के दैनिक प्रसारण के साथ एक ब्रॉडकास्टर बन गया, जिसका ट्रांसमिशन दिल्ली में हुआ। डीडी की सर्विस 1975 तक मुंबई, अमृतसर और अन्य शहरों तक बढ़ा दी गई। 1 अप्रैल 1976 को यह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आ गया और 1982 में राष्ट्रीय प्रसारक बन गया। बाद में, 1984 में, डीडी ने अपने नेटवर्क के अंतर्गत और अधिक चैनल जोड़े। वर्तमान में, दूरदर्शन छह राष्ट्रीय और 17 क्षेत्रीय चैनल संचालित करता है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Recommended News

Related News