Dusshera 2025: पूरा देश जलाएगा रावण का पुतला, लेकिन यह समाज मनाएगा शोक, खुद को बताते हैं दशानन का वंशज

punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 08:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस साल यह पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पूरे भारत में इस दिन रामलीला और रावण दहन का विशेष महत्व होता है। रामायण के अनुसार, रावण ने सीता माता का अपहरण किया था, जिसके बाद भगवान राम ने धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया और उसे हराया। इसलिए हर साल रावण का पुतला जलाया जाता है।

दशहरे के दिन शोक मनाता है यह समाज
हालांकि, भारत में एक ऐसा समाज भी है जो दशहरे के दिन रावण दहन पर शोक मनाता है। यह समाज खुद को रावण का वंशज मानता है। गोधा श्रीमाली समाज के लोग दशहरे के दिन रावण दहन के धुएं को देखकर स्नान करते हैं और जनेऊ बदलकर ही भोजन करते हैं। मान्यता के अनुसार, त्रेतायुग में रावण का विवाह मंडोर (जोधपुर) में हुआ था। बारात में आए गोधा परिवार के लोग वहीं बस गए। इसलिए दशहरे के दिन देशभर में रावण का पुतला जलाया जाने के बावजूद, गोधा श्रीमाली समाज रावण की पूजा और श्रद्धांजलि करता है।

रावण का मंदिर और पूजा
राजस्थान के सूरसागर स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में रावण का एक पुराना मंदिर भी है, जिसे गोधा श्रीमाली समाज के कमलेश दवे ने बनवाया था। इस दिन इस मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है। आज भी मंदिर के पुजारी खुद को रावण के वंशज मानते हैं और उनका कहना है कि रावण वेदों का जानकार और अत्यंत बलशाली था। समाज के अनुसार, संगीत में रुचि रखने वाले छात्रों को रावण का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में आना चाहिए। हर साल सैकड़ों श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं।


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Content Editor

Shubham Anand

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