अंधविश्वास या परंपरा? बेटे की मौत के बाद अस्पताल आत्मा लेने पहुंचा परिवार, ढोल-धमाके के साथ ले गए घर
punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 04:47 PM (IST)
नेशनल डेस्क : आधुनिक युग में जहां विज्ञान तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में आज भी मौत के बाद आत्मा ले जाने की अनूठी परंपरा जीवित है। पीढ़ियों से चली आ रही यह परंपरा अंधविश्वास से जुड़ी मानी जाती है, लेकिन आदिवासी समाज के लोग इसे अपने रीति-रिवाज और श्रद्धा का प्रतीक मानते हैं।
अस्पताल में आत्मा बुलाने की रस्म
मंगलवार को डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में यह अनोखा नजारा देखने को मिला। यहां दो अलग-अलग परिवार अपने दिवंगत परिजनों की आत्मा लेने पहुंचे। अस्पताल परिसर में उन्होंने पूजा-अर्चना कर आत्मा को बुलाया और दीपक जलाकर प्रतीकात्मक रूप से आत्मा को घर ले गए। ढोल-धमाके और पारंपरिक गीतों के बीच यह अनुष्ठान पूरा किया गया।
पिता ने बताया परंपरा का महत्व
गलियाकोट तहसील के महुआवाड़ा निवासी मणिलाल ताबियाड ने बताया कि उसके 27 वर्षीय बेटे रामलाल का लीवर खराब हो गया था और एक साल पहले उसका इलाज डूंगरपुर जिला अस्पताल में चल रहा था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पिता के अनुसार, आदिवासी परंपरा के अनुसार मृतक की आत्मा को घर ले जाकर पूजा-अर्चना करना आवश्यक होता है ताकि आत्मा को शांति मिले।
परिजनों ने बताया कि वे पूजा की थाल में फूल-माला, कुमकुम और जलता हुआ दीपक लेकर अस्पताल के उस वार्ड तक गए, जहां रामलाल की मृत्यु हुई थी। वहां पूजा करने के बाद जलते दीपक को आत्मा का प्रतीक मानकर वे अस्पताल से घर तक लेकर आए।
आत्मा की शांति और घर की खुशहाली की मान्यता
परिवार के सदस्यों ने बताया कि आदिवासी समाज में यह विश्वास है कि यदि आत्मा को उचित विधि से बुलाकर पूजा की जाए, तो वह भटकती नहीं है और परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है। जीवालाल, जो इस परंपरा का हिस्सा थे, ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, और हर परिवार इसे श्रद्धा, सम्मान और विश्वास के साथ निभाता है।
