कोरोना से अगर बिगड़े हालात तो लंबे समय तक गरीबों का पेट भर सकती है सरकार, पढ़ें रिपोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Mar 25, 2020 - 06:48 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस का खतरा देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इसके साथ ही सरकार ने विश्वास दिलाया कि इस दौरान जनता की मदद के लिए सभी राज्य सरकारें उनके साथ हैं। लेकिन इस बीच गरीब परिवारों पर लॉकडाउन की भारी मार देखने को मिली है। जो लोग अपनी दिहाड़ी या रोज की कमाई पर निर्भर हैं उनका बुरा हाल हो गया है।

हालांकि कई राज्यों की सरकारों ने राशन में छूट का ऐलान किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर भारत को लॉकडाउन बढ़ाना पड़ा तो कितने दिनों तक भारत गरीबों को राशन सामग्री उपलब्ध कराने योग्य है। आईए इस रिपोर्ट के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं।

 साल भर खिला सकता है भारत
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत के पास करीब 1 साल के लिए भरपूर राशन का भंडार है, जिसका इस्तेमाल लॉकडाउन की स्थिति में देश के गरीबों के भोजन की व्यवस्था बनाने में किया जा सकता है। साथ ही, आने वाली नई फसल के बाद इस भंडार में खाद्यान्न का और इजाफा हो जाएगा, जो अभी के अनुमान को और बढ़ा सकता है।

क्या कहते हैं आंकड़े
इस बारे में भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) के चेयरमैन डीवी प्रसाद ने ब्लूमबर्ग से बात करते हुए बताया कि देश में खाद्यान्न/राशन भंडार की कोई कमी नहीं है। बता दें, पूरे देश भऱ में खाद्यान्न को बांटने काम भारतीय खाद्य निगम ही देखता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के गरीबों में बांटने के लिए करीब 50 से 60 मिलियन टन राशन की जरूरत होती है और अप्रैल के अंत तक देश के पास 100 मिलियन टन खाद्यान्न उपलब्ध होगा। वहीँ, साल 2019-20 में भारत में 292 मिलियन टन रिकॉर्ड खाद्यान्न के उत्पादन का अनुमान है। इस हिसाब से भारत गरीबों को साल भर से ज्यादा खिलाने में सक्षम है।

कल्याणकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ
इस हिसाब से देखा जाए तो डीवी प्रसाद भी यही कहते हैं कि देश के हर हिस्से में खाद्यान्न की आपूर्ति होती रही है और आगे भी इस लिहाज से चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन इसके अलावा कुछ राज्यों ऐसे भी हैं जहां भंडारण की समस्या है और वे बड़ी मात्रा में राशन जमा करके नहीं रख सकते। यहां ये भी बता दें कि खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले हफ्ते कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थीयों को 6 महीने के लिए राशन जमा करके रखने की अनुमति दी थी।

राशन की खरीद में जुटे लोग
इस बीच बड़ी समस्या ये हुई कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद लोगों ने परेशान होकर अधिक राशन जमाकरना शुरू कर दिया है। जबकि पूरे देश में लॉकडाउन है और जरुरी राशन की दुकानें खुली हैं तब लोग बड़े पैमाने पर राशन की खरीद करने में जुटे हैं। ऐसी स्थिति में राशन से जुड़ी तमाम वस्तुओं की कीमतों में इजाफे की आशंका है साथ ही मौजूदा समय में अचानक खाद्य वस्तुओं कमी भी देखी जा सकती है।

ऐसे बढ़ सकती है समस्या
लॉकडाउन के बीच लोगों का अधिक राशन जमा करके रखना और कीमतों के बढ़ जाने से गरीब तबका मुसीबत में आ सकता है। साथ ही ट्रांसपोटेर्शन की असुविधा होने से भी खाद्य सामग्री में कमी हो सकती है। सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि जहां भी खाद्य सामग्रियां स्टॉक में हैं वहां इस्तेमाल नहीं हो पाएंगी और इससे कालाबाजारी बढ़ जाएगी। जिसका सीधा असर गरीब जनता पर पड़ेगा। अब देखना यह है कि सरकार द्वारा राशन उपलब्ध कराने की सुविधा गरीब परिवारों तक पहुंचती है या नहीं।

 


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Chandan

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