ICMR का अध्ययन: क्या ड्रोन से रक्त वितरण भविष्य में होगा हमारी जीवन रक्षक तकनीक? परीक्षण से उम्मीद जगी

punjabkesari.in Thursday, Jul 17, 2025 - 07:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क : ग्रेटर नोएडा के जीआईएमएस अस्पताल से दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज तक एक ड्रोन के जरिए रक्त की थैलियों को सफलतापूर्वक पहुंचाया गया। यह प्रयोग 2023 में किए जाने की योजना थी, लेकिन हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। ड्रोन ने 35 किलोमीटर की दूरी महज 15 मिनट में तय की, जबकि यह कार्य पारंपरिक एम्बुलेंस से एक घंटा तेजी से हुआ।

ड्रोन तकनीक: जीवन रक्षक रक्त के लिए एक आशाजनक विकल्प

जून 2023 में प्रकाशित आईसीएमआर के अध्ययन "रक्त वितरण के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाना इसकी दक्षता और स्थायित्व का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यवहार्यता" में बताया गया कि ड्रोन, जीवन रक्षक रक्त और उसके घटकों के परिवहन के लिए एक प्रभावी और कुशल विकल्प हो सकते हैं। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि ड्रोन चिकित्सा आपात स्थितियों में सुरक्षित और तेजी से रक्त परिवहन का एक प्रभावी तरीका हो सकते हैं। यह अध्ययन ड्रोन द्वारा नेत्र ऊतक वितरण में की गई सफलता के बाद आया है, जिसमें एक ड्रोन ने सोनीपत से झज्जर तक 38 किलोमीटर की दूरी 40 मिनट में तय की। सड़क मार्ग से इस दूरी को तय करने में दो घंटे से अधिक समय लगता है।
 

आईसीएमआर ने उठाया चुनौती का सवाल

हालांकि, आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ड्रोन के जरिए रक्त के परिवहन की गुणवत्ता और प्रभाव को लेकर और अधिक वैज्ञानिक प्रमाणों की आवश्यकता है। इसके साथ ही कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है, जैसे- मौसम की स्थिति, बैटरी जीवन, नियामक बाधाएँ, रखरखाव, सुरक्षा चिंता, लागत और स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ बेहतर एकीकरण की आवश्यकता।

रक्त परिवहन के लिए ड्रोन का उपयोग क्यों जटिल है?

ड्रोन के जरिए रक्त के परिवहन को अंगों के परिवहन से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है। रक्त की गुणवत्ता को सुरक्षित रखने के लिए तापमान नियंत्रण और सावधानीपूर्वक संचालन की आवश्यकता होती है, जबकि अंगों के परिवहन में सुरक्षा की ज़रूरतें अलग होती हैं। आईसीएमआर के अध्ययन में यह पाया गया कि रक्त और उसके घटकों का ड्रोन के जरिए सुरक्षित परिवहन किया जा सकता है, यदि सख्त दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।

ड्रोन द्वारा रक्त परिवहन में आईसीएमआर का परीक्षण

आईसीएमआर के अध्ययन में चार प्रकार के रक्त घटकों (जैसे संपूर्ण रक्त, पैक्ड लाल रक्त कोशिकाएँ, ताज़ा जमे हुए प्लाज्मा, और प्लेटलेट्स) को तापमान-नियंत्रित बक्सों में रखा गया और इनका ड्रोन के जरिए सुरक्षित रूप से परिवहन किया गया। इस परिवहन की प्रक्रिया ड्रोन द्वारा वैन के मुकाबले कहीं तेज रही। ड्रोन ने रक्त पहुंचाने में केवल 15 मिनट लिए, जबकि वैन ने समान दूरी तय करने में एक घंटे से ज्यादा समय लिया।

अध्ययन में पाया गया कि रक्त की गुणवत्ता पर कोई नकरात्मक प्रभाव नहीं पड़ा, और तापमान भी सुरक्षित सीमा के भीतर ही रहा। हालांकि, कुछ रक्त घटकों में छोटे बदलाव देखे गए, लेकिन यह ड्रोन और वैन दोनों के परिवहन में समान थे।

ड्रोन के उपयोग की चुनौतियाँ

आईसीएमआर ने पुष्टि की है कि यदि नियामक दिशानिर्देशों का पालन किया जाए, तो रक्त और उसके घटकों को ड्रोन के जरिए सुरक्षित रूप से पहुंचाया जा सकता है। इसके लिए शीतलन प्रणालियों और वास्तविक समय की निगरानी की आवश्यकता होगी, ताकि हेमोलिसिस या जीवाणु संदूषण से बचा जा सके। अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया कि ड्रोन की कंपनियों और उड़ान की जांच करना जरूरी होगा ताकि रक्त घटकों को नुकसान से बचाया जा सके।

भारत में ड्रोन तकनीक का भविष्य

भारत की विविध स्थलाकृति, जैसे पहाड़, आर्द्र मैदान और शहरी भीड़-भाड़, ड्रोन के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। इसके बावजूद, ड्रोन स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक परिवहन में समस्याएं आती हैं। हालांकि, अभी भी ड्रोन एम्बुलेंस के रूप में काम नहीं कर सकते, लेकिन कठिन परिस्थितियों में जैसे धुंध, ट्रैफिक जाम और पहाड़ी रास्तों में यह लोगों तक रक्त पहुंचाने में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

आईसीएमआर का यह अध्ययन यह साबित करता है कि ड्रोन अब सिर्फ निगरानी और मनोरंजन के लिए नहीं हैं, बल्कि वे जीवन बचाने में भी सहायक हो सकते हैं। आने वाले समय में, अगर ड्रोन तकनीक को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह चिकित्सा आपातकालीन सेवाओं में एक अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।


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Content Editor

Shubham Anand

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