आखिर है क्या डेकलाम विवाद, चीन ने क्यों बनाया नाक का सवाल ?

punjabkesari.in Monday, Aug 28, 2017 - 01:55 PM (IST)

बीजिंगः पिछले 3 महीने से चल रहे डोकलाम विवाद ने भारत-चीन की आम जनता के अलावा पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा । डोकलाम पर भारत की कूटनीति आखिर काम कर गई और चीन की सेना ने डोकलाम से पीछे हटने का फैसला ले लिया है जो एक तरह से भारत की जीत है।  सोमवार को विदेश मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने इस मुद्दे पर लगातार बात की है, जिसके बाद इस पर फैसला लिया गया है। 
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भारत की सुरक्षा के लिए खतरा  
दरअसल चीन भूटान के कब्जे वाले डोकलाम में सड़क का निर्माण कर रहा है, जिसका विरोध भारत कर रहा है। हालांकि चीन ने भूटान के पूर्व में चुम्बी घाटी तक सड़क का निर्माण कर लिया है। यहां एक नदी भी है जिसे ऐमेचो नदी कहा जाता है। इस इलाके को चुम्बी नदी घाटी के नाम से जाना है। ये जगह भारत के बेहद करीब है। यही भारत की चिंता का कारण है। अगर चीन ने सड़क का निर्माण कर लिया तो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा खड़ा हो जाएगा। यही कारण है कि भारत ने डोकलाम में अपनी सैना को तैनात कर दिया ।

भूटान के पठार में स्थित डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच तलवारें लगातार म्यान से बाहर आती रहीं । यहां तक कि जंग तक के कयास लगाए गए। भारत ने डोकलाम पर अपना रुख पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि वह यहां से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि डोकलाम पर पूरा विवाद आखिर है क्या? और क्यों चीन ने उसे भारत के खिलाफ नाक का प्रश्न बना लिया है। 

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डोकलाम का इतिहास
यह जानना भी जरूरी है कि आखिर डोकलाम का इतिहास क्‍या है?  भौगोलिक रूप से डोकलाम भारत चीन और भूटान बार्डर के तिराहे पर स्थित है. जिसकी भारत के नाथुला पास से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी है। चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे। साल 1949 में भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करेगा। साल 2007 में इस मुद्दे पर एक नई दोस्ताना संधि हुई। जिसमें भूटान के भारत से निर्देश लेने की जरूरत को खत्म कर दिया गया और यह वैकल्पिक हो गया।
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इन विवादित मुद्दों पर इतिहास का संस्मरण देने वाला चीन डोकलाम मुद्दे पर भी कुछ ऐसा ही तर्क देता रहा है। चीन के अनुसार डोकलाम नाम का इस्तेमाल तिब्बती चरवाहे पुराने चारागाह के रूप में करते थे। चीन का ये भी दावा है कि डोकलाम में जाने के लिए 1960 से पहले तक भूटान के चरवाहे उसकी अनुमति लेकर ही जाते थे। हालांकि एेतिहासिक रूप से इसके कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं। असल में इस पूरे विवाद की जड़ ही अलग है। डोकलाम का इलाका भारत के लिए सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
 

चिकन नेक तक पहुंच  हो जाती आसान
भारत के सिक्किम, चीन और भुटान के तिराहे पर स्थित डोकलाम पर चीन हाइवे बनाने की कोशिश में है, जिसका भारतीय खेमा विरोध कर रहा है. उसकी बड़ी वजह ये है कि अगर डोकलाम तक चीन की सुगम आवाजाही हो गई तो फिर वह भारत को पूर्वोत्तहर राज्यों से जोड़ने वाली चिकन नेक तक अपनी पहुंच और आसान कर सकता है। चीन विस्तारवादी देश है। वो लगातार अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद में उलझ रहा है। चीन डोकलाम पठार पर कब्जा करना चाहता है।

ये चीन और भारत को पूर्व में भूटान तथा पश्चिम में सिक्कम से अलग करता है। यहां के नाथूला क्षेत्र पर भारत का कब्जा है। दोनों देशों के बीच संधि के मुताबिक अगर भूटान पर कोई संकट आएगा तो भारत उसका मुकाबला करेगा। इसी वजह से भारतीय सेना डोकलाम में तैनात है। जिसका चीन विरोध कर रहा है। भारतीय सेना भूटान की रक्षा के लिए वहां पर तैनात है।  


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