Diwali 2024: उत्तर भारत के इन राज्यों में विशेष परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा दीवाली का त्योहार

punjabkesari.in Monday, Oct 21, 2024 - 12:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में दीवाली का त्योहार अत्यंत महत्वपूर्ण और खास है। यह खुशी, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है। दीवाली का उत्सव भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी। उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में इस त्योहार को मनाने के अपने अनूठे तरीके हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं। आइए जानते हैं उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में दीवाली मनाने की विशेष परंपराएं और रीति-रिवाज।

उत्तर प्रदेश (अयोध्या)
उत्तर प्रदेश की अयोध्या में दीवाली का विशेष महत्व है। यह वह स्थान है जहां भगवान राम का जन्म हुआ और जहां से उन्होंने 14 वर्षों के वनवास के बाद लौटने के बाद दीप जलाने की परंपरा शुरू की थी। हर साल, दीपोत्सव के दौरान लाखों दीए जलाए जाते हैं। अयोध्या की सरयू नदी के किनारे के घाटों को रोशनी से सजाया जाता है, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। इस दिन रामलीला का भव्य आयोजन होता है, जिसमें लोग भाग लेते हैं और आतिशबाजी का आनंद लेते हैं। दीपों की चमक और खुशी का यह वातावरण पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।

दिल्ली
दिल्ली में दीवाली का त्योहार बहुत ही जीवंत और उत्साह से भरा होता है। यहां लोग अपने घरों की सफाई और सजावट के लिए कई दिनों पहले से तैयारियां करने लगते हैं। घरों को रंगोली, दीयों, और बिजली की लड़ियों से सजाया जाता है। दीवाली के दिन, रामलीला मैदान में भव्य रामलीला का मंचन होता है, जहां रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं। लोग अपने घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और मिठाइयों का वितरण करते हैं। दिल्ली के विभिन्न बाजारों में भी दीवाली के उपहार और सजावटी सामान की भरमार होती है, जिससे बाजार जगमगाते हैं।

हरियाणा
हरियाणा में दीवाली को कृषि से जोड़ा जाता है। किसान अच्छी फसल के लिए माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और इस अवसर पर गोवर्धन पूजा का आयोजन करते हैं। लोग अपने पशुओं को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, लोग अपने खेतों और घरों को दीयों से रोशन करते हैं। इस दौरान, महिलाएं घर के आंगन में रंगोली बनाती हैं और घर की सुख-समृद्धि के लिए देवी-देवताओं की पूजा करती हैं। हरियाणा में दीवाली का त्योहार खुशियों और नई शुरुआत का प्रतीक है।

पंजाब
पंजाब में दीवाली का पर्व "बंदी छोड़ दिवस" के रूप में मनाया जाता है, जो गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई का प्रतीक है। इस दिन, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भव्य आयोजन होता है। लोग गुरुद्वारों में दीए जलाते हैं और लंगर का आयोजन करते हैं, जहां सभी को मिलकर भोजन कराया जाता है। विशेषकर अमृतसर में, स्वर्ण मंदिर को लाखों दीयों से सजाने का दृश्य बहुत ही अद्भुत होता है। इस दिन, आतिशबाजी और मिठाइयों का वितरण भी बड़े उत्साह से किया जाता है, जो इस पर्व की खुशी को और बढ़ाता है।

राजस्थान
राजस्थान में दीवाली का त्योहार भव्यता और परंपरा के साथ मनाया जाता है। यहां के लोग अपने घरों और बाजारों को रंग-बिरंगे दीयों से सजाते हैं। जोधपुर, जयपुर, और उदयपुर में दीवाली के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं। उदयपुर की पिचोला झील के किनारे के महल और मंदिरों को दीयों से सजाया जाता है, जो रात के समय अद्भुत रूप में चमकते हैं। जयपुर के बाजारों में दीवाली के दौरान विशेष सजावट की जाती है, और लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं। राजस्थान में दीवाली का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

उत्तराखंड
उत्तराखंड में दीवाली से एक दिन पहले "बग्वाल" या "बुद्ध काशी" मनाई जाती है। इस दिन लोग दीप जलाकर और पूजा करके लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। यहां के लोग अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं। गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का भी खास महत्व है। लोग गायों को सजाते हैं और गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। इस दौरान गांवों में पारंपरिक नृत्य और संगीत का आयोजन होता है, जिससे पूरे वातावरण में उत्साह और खुशी का माहौल बना रहता है।

बिहार
बिहार में दीवाली के बाद छठ पूजा की तैयारियां शुरू होती हैं, जो सूर्य देवता की उपासना का पर्व है। दीवाली के दिन, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। पटना, गया और अन्य शहरों में दीपों की रोशनी से घरों और मंदिरों को सजाया जाता है। विशेषकर, लोग मिठाइयां बनाते हैं और एक-दूसरे को बांटते हैं। यहां की दीवाली एक खास सामाजिक संबंध को भी बढ़ावा देती है, जहां परिवार और दोस्त एकत्र होकर खुशी मनाते हैं।

हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थानों पर दीवाली के साथ-साथ बुद्धा दीवाली या बुद्ध पूर्णिमा का भी आयोजन होता है। यहां के लोग अपने घरों के सामने दीए जलाते हैं और स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। कुल्लू, मनाली और शिमला जैसे पहाड़ी इलाकों में पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ दिवाली का पर्व मनाया जाता है। स्थानीय बाजारों में विशेष बाजार लगते हैं, जहां हस्तशिल्प और पारंपरिक सामान की बिक्री होती है। हिमाचल की ठंडी हवा और पहाड़ी सुंदरता में दीवाली का त्योहार एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

इस प्रकार, उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में दीवाली का त्योहार अपनी अनोखी परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। चाहे वह अयोध्या की दीपों की रोशनी हो या पंजाब के स्वर्ण मंदिर की भव्यता, हर जगह दीवाली का जश्न अद्वितीय होता है। इस साल भी लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाने के लिए तैयार हैं, और यह त्योहार सभी के लिए खुशियों और समृद्धि का प्रतीक बनकर सामने आता है। दीवाली के इस अद्भुत उत्सव में हर कोई अपने-अपने अंदाज में शामिल होकर एक-दूसरे के साथ खुशी साझा करता है।


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Content Editor

Mahima

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