BHU लाठी चार्ज: दिग्विजय ने पूछा, ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ केवल एक नारा ही है क्या?

punjabkesari.in Sunday, Sep 24, 2017 - 01:33 PM (IST)

नई दिल्ली: बनारस के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कथित छेड़खानी के विरोध में और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर पुलिस के लाठी चार्ज पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल किया है कि क्या ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ केवल एक नारा है?’  दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किए अपने कई पोस्ट में लिखा है, ‘‘बीएचयू की छात्राओं पर बर्बर लाठी चार्ज की मैं निंदा करता हूं। उनकी मांग केवल सुरक्षा थी, क्या यह मांग अनुचित थी?’’ उन्होंने लिखा, ‘‘मोदी और योगी को यह मांग मानने में क्या एतराज हो सकता है? ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ केवल एक नारा ही है क्या?’’ 

‘‘मोदी जी और योगी जी अगर थोड़ी भी शर्म है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करो और छात्राओं से सार्वजनिक माफी मांगो।’’  ‘‘हम हिन्दू तो नवरात्रि में कन्या भोज कराते हैं, उनके पैर छूते हैं,? दान देते हैं, यह हिन्दुओं का धर्म है और परम्परा है।’’  ‘‘और यह हिन्दुत्व के तथाकथित ठेकेदार कन्याओं पर लाठी बरसा रहे हैं। वह भी मालवीय जी द्वारा स्थापित बनारस (काशी) हिन्दू विश्वविद्यालय में और मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में। शर्म करो।’’ उन्होंने अपने अंतिम ट्वीट में लिखा है, ‘‘भाजपा के नेताओं धिक्कार है तुम्हे।’’ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को हुई कथित छेडख़ानी के विरोध में धरना प्रदर्शन के बाद बीती रात पूरा परिसर छावनी में तब्दील हो गया। शनिवार की रात कुलपति आवास के पास पहुंचे छात्र और छात्राओं पर विश्वविद्यालय के सुरक्षार्किमयों ने लाठी चार्ज कर दिया जिसमें कुछ विद्यार्थी घायल हो गए।

छात्राओं का कहना है कि पुलिस ने उन पर भी लाठी चार्ज किया। इसके बाद छात्रों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने सुरक्षार्किमयों पर पथराव शुरू कर दिय। सभी विद्यार्थी संस्थान में बृहस्पतिवार को हुई कथित छेडख़ानी के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि कुलपति ने हालात के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय को दो अक्तूबर तक बंद रखने का आदेश दिया है। उन्होंने घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन भी किया है। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी अराजक तत्व हैं जो छात्राओं को आगे कर संस्थान की गरिमा को धूमिल करना चाहते हैं।


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