बिना मोबाइल, बिना पिन के होगा अब डिजिटल ट्रांजैक्शन: UPI Lite पेमेंट सुविधा शुरू

punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 08:50 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की डिजिटल क्रांति अब एक और रोमांचक मोड़ पर आ गई है। अगर आपको पेमेंट के लिए मोबाइल निकालना, ऐप खोलना या पिन डालना बोझिल लगता है, तो अब ये सब बीते ज़माने की बातें होने वाली हैं। जी हां, अब सिर्फ एक स्मार्ट ग्लास पहनिए, सामने लगे QR को देखिए और बोलिए - ट्रांजैक्शन हो जाएगा। न मोबाइल की जरूरत, न पिन की, न ही कार्ड की झंझट। नेक्स्ट-लेवल इनोवेशन के तहत, भारत में पहली बार वियरेबल डिवाइस - यानी स्मार्ट ग्लास - के जरिए UPI Lite पेमेंट सुविधा शुरू की गई है। यह एक ऐसा कदम है, जो न सिर्फ आम लोगों की पेमेंट प्रक्रिया को आसान बनाएगा, बल्कि देश को डिजिटल पेमेंट इनोवेशन की ग्लोबल रेस में आगे भी ले जाएगा।

कौन लाया ये नई तकनीक?
इस स्मार्ट तकनीक की घोषणा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 के मंच से की। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने तैयार किया है, जो देश में UPI जैसे प्रमुख पेमेंट सिस्टम का संचालन करता है। NPCI ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य छोटे-मोटे लेनदेन को और भी सहज, तेज़ और सुरक्षित बनाना है। खास बात यह है कि ये ट्रांजैक्शन बिना कोर बैंकिंग सिस्टम के भी हो सकते हैं, जिससे बैंकों के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव कम होगा।

कैसे करेगा काम ये 'स्मार्ट ग्लास'?
NPCI द्वारा जारी डेमो वीडियो के मुताबिक, यूज़र को सिर्फ:
स्मार्ट ग्लास पहनना है
QR को स्कैन करना है
और फिर वॉयस कमांड देकर पेमेंट कन्फर्म करना है...बस! पेमेंट हो गया।

इसका इंटरफेस इतना सहज और प्राकृतिक है कि इसे "देखो, बोलो और पे करो" की तर्ज़ पर डिजाइन किया गया है। कोई फिंगरप्रिंट, कोई पासवर्ड, कोई ओटीपी नहीं।

कहां-कहां होगा ज्यादा फायदा?
यह तकनीक खास तौर पर रोजमर्रा के ट्रांजेक्शन जैसे कि:
लोकल रिटेल स्टोर्स
कैफे या फूड आउटलेट्स
पब्लिक ट्रांसपोर्ट
टिकटिंग काउंटर
...जैसे स्थानों पर बेहद उपयोगी साबित होगी।
जहां पेमेंट का अमाउंट छोटा होता है और स्पीड मायने रखती है।

भारत की वैश्विक पहचान को मजबूती
यह वियरेबल पेमेंट फीचर भारत को ग्लोबल फिनटेक लीडर के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। UPI पहले ही कई देशों में अपनाया जा चुका है और अब स्मार्ट ग्लास जैसी सुविधा इस तकनीक को अगली पीढ़ी के लिए तैयार कर रही है।

बैंकों के लिए भी फायदे का सौदा
यह सुविधा नॉन-कोर बैंकिंग सिस्टम आधारित है यानी हर पेमेंट पर बैंक के सिस्टम पर लोड नहीं पड़ेगा। इससे बैंकों की सर्विस स्थिर रहेगी, ट्रांजेक्शन फेल की संभावना घटेगी और यूज़र्स का अनुभव बेहतर होगा।


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Content Writer

Anu Malhotra

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