Manimahesh Yatra के लिए निकले श्रद्धालु, भोले बाबा के जयकारों से माहौल हुआ रंगीन
punjabkesari.in Sunday, Aug 25, 2024 - 03:02 PM (IST)
नेशनल डेस्क. उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा 26 अगस्त से आधिकारिक रूप से शुरू होने वाली है, लेकिन इससे पहले ही हजारों शिवभक्त भरमौर पहुंच चुके हैं। मणिमहेश यात्रियों से भरे वाहनों की बाढ़ आ गई है। इसका पता इसी से लगाया जा सकता है कि शनिवार को चंबा-भरमौर नेशनल हाईवे पर जगह-जगह लंबा जाम लग गया। श्रद्धालुओं को इससे काफी असुविधा हुई। खड़ामुख से ढकोग तक लगभग तीन किलोमीटर लंबे जाम में श्रद्धालु और जरूरी काम से निकले लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। बसें भी जाम में फंसी रहीं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और न्हौण के त्योहार से पहले भरमौर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई है। यदि मौसम ठीक रहा तो इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु मणिमहेश की पवित्र डल झील में स्नान करने की उम्मीद है। शिव भक्त प्रशासन और पुलिस से यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने और मार्ग की हालत सुधारने के लिए उचित कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। शनिवार तक 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवा लिया है। शनिवार को अकेले 1912 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करवाया। अब तक कुल 30,167 श्रद्धालु पंजीकृत हो चुके हैं।
मणिमहेश यात्रा के दौरान अधिकांश श्रद्धालु हड़सर से मणिमहेश तक पैदल यात्रा कर रहे हैं, जबकि कुछ हेली टैक्सी का उपयोग कर रहे हैं।
शनिवार को थंबी एविएशन कंपनी के हेलीकाप्टर ने भरमौर से 17 उड़ानें भरीं। इन उड़ानों में कुल 170 श्रद्धालुओं ने यात्रा की। इनमें से 96 श्रद्धालु भरमौर से गौरीकुंड पहुंचे और 74 श्रद्धालुओं ने गौरीकुंड से भरमौर तक का सफर किया।
जानें क्या है मणिमहेश यात्रा
मणिमहेश यात्रा भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के चंबा जिले में स्थित मणिमहेश झील की यात्रा है, जो हर साल अगस्त-सितंबर के महीनों में आयोजित की जाती है। यह यात्रा शिवभक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और विशेष रूप से हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह में होती है। यात्रा की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
मणिमहेश झील: यह झील समुद्रतल से लगभग 13,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इसे भगवान शिव की निवास स्थली माना जाता है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु स्नान करने और पूजा अर्चना करने आते हैं।
यात्रा की अवधि: मणिमहेश यात्रा आमतौर पर अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में होती है। यह यात्रा 26 अगस्त से शुरू होती है और लगभग एक महीने तक चलती है।
मार्ग और यात्रा: श्रद्धालु मुख्य रूप से हड़सर से मणिमहेश तक पैदल यात्रा करते हैं, जो लगभग 13 से 14 किलोमीटर लंबा होता है। कुछ श्रद्धालु हेली टैक्सी का भी उपयोग करते हैं, जो यात्रा को जल्दी पूरा करने में मदद करती है।
पंजीकरण: यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को पंजीकरण करवाना पड़ता है। इस बार, पंजीकरण की संख्या 30,000 के पार पहुंच चुकी है, और हर साल यह संख्या बढ़ती जाती है।
प्रशासनिक व्यवस्था: यात्रा के दौरान प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए जाते हैं, जैसे यातायात प्रबंधन, मार्ग की मरम्मत और सुरक्षा के उपाय।
विशेष घटनाएँ: यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और मेलों का हिस्सा बनने का मौका मिलता है। साथ ही, यात्रा के समय स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
हेली टैक्सी: मणिमहेश यात्रा के दौरान थंबी एविएशन जैसी कंपनियों द्वारा हेली टैक्सी की सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जो श्रद्धालुओं को जल्दी और आरामदायक यात्रा की सुविधा देती हैं।