CAA के खिलाफ प्रदर्शनों से असम के पर्यटन को एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान

punjabkesari.in Wednesday, Jan 01, 2020 - 06:29 AM (IST)

गुवाहाटी: असम के पर्यटन को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के चलते लगभग एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। असम पर्यटन विभाग निगम (एटीडीसी) के अध्यक्ष जयंत मल्ला बरुआ ने मंगलवार को बताया कि दिसंबर में पर्यटन पर बहुत बुरा असर पड़ा और जनवरी में भी ऐसा ही होने की संभावना है। इन दोनों महीनों में भारी संख्या में पर्यटकों की आमद होती है। उन्होंने कहा कि असम में दिसंबर से मार्च के बीच सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। इस दौरान पूरे साल के 48 प्रतिशत पर्यटकों की आमद होती है। 

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बरुआ ने कहा,"दिसंबर में हिंसक प्रदर्शनों के चलते हम पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। हमने दिसंबर में 500 करोड़ और जनवरी में भी इतना ही नुकसान होने का अनुमान लगाया है।" बरुआ ने कहा कि असम में सीएए के खिलाफ 11 दिसंबर को भड़के हिंसक प्रदर्शनों से 15 दिन के भीतर होटल उद्योग को लगभग 60 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। घरेलू पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटकों की आमद में भी गिरावट आई है क्योंकि कई देशों ने प्रदर्शनों के चलते अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी कर रखे हैं। असम को पर्यटन से हर साल दो से ढाई हजार करोड़ रुपए की कमाई होती है। 

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बरुआ ने कहा,"इस प्रभाव के कारण हमें 2019-20 में पर्यटकों की आमद में 30 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। हम उम्मीद करते हैं कि फरवरी में हम इन हालात से थोड़ा उबर जाएंगे।" उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे विकसित देशों ने यात्रा परामर्श जारी किए हैं और ऐसे हालात से पूरी तरह उबरने में अकसर तीन से चार साल लग जाते हैं। 

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एटीडीसी के अध्यक्ष ने कहा,"शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन हिंसक प्रदर्शनों का बहुत बुरा असर पड़ा है। इस साल हमें असम में लगभग 65 लाख घरेलू और 50,000 विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद की थी, लेकिन दिसंबर और जनवरी की 80 प्रतिशत बुकिंग पहले ही रद्द कर दी गई हैं।" उन्होंने कहा कि राज्य में 2018-19 के दौरान 60,27,002 घरेलू और 41,209 विदेशी पर्यटक आए। बरुआ ने कहा कि लगभग 50,000 लोग पर्यटन क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं, जबकि अन्य एक लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से इस पर निर्भर हैं।


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shukdev

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