किसान आंदोलन का मामला अब SC में, दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग
punjabkesari.in Friday, Dec 04, 2020 - 05:25 PM (IST)
नेशनल डेस्कः किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली-एनसीआर के सीमावर्ती इलाकों से किसानों को प्रदर्शन से तुरंत हटाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि इस प्रदर्शन से कोविड-19 के प्रसार का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही लोगों को आने-जाने में भी दिक्कत हो रही है। याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों को तुंरत बॉर्डर खुलवाने के आदेश दिए जाएं। साथ ही किसी निश्चित स्थान पर सामाजिक दूरी और मास्क आदि के साथ प्रदर्शन को शिफ्ट किया जाए।
Petition filed before Supreme Court seeking directions for immediate removal of agitating farmers from border areas of Delhi-NCR keeping in view the fact that they may pose a risk to spread of #COVID19: Om Prakash Parihar, the Advocate on Record (AOR), for the petitioner, to ANI pic.twitter.com/BFf72JoChc
— ANI (@ANI) December 4, 2020
याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने कोविड-19 को रोकने के लिए दिल्ली में आवश्यक आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को रोक दिया है। दिल्ली निवासी ऋषभ शर्मा द्वारा दायर याचिका में सीएए के विरोध पर शीर्ष अदालत के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा कब्जा नहीं किया जा सकता है और धरने के लिए एक विशिष्ट स्थान होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि 'हालांकि, पुलिस ने बुराड़ी की पेशकश की लेकिन किसान अभी भी सीमाओं पर विरोध कर रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से लाखों लोगों का जीवन खतरे में है क्योंकि वायरस बहुत संक्रामक है और अगर संयोग से यह कोरोनोवायरस रोग कम्युनिटी स्प्रेड का रूप ले लेता है, तो इससे देश में तबाही मच जाएगी।'
बता दें कि पिछले नौ दिनों से लाखों की संख्या में पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों के किसान दिल्ली की अलग-अलग राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर डटे हुए हैं। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली चलो नाम से शुरू किया गया आंदोलन अब देशव्यापी आंदोलन बन चुका है। यहां जमा किसानों और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, और बढ़ रहा है उनको मिल रहा समर्थन भी।