न्यू ईयर पार्टी प्लान हो सकता है फेल! 31 दिसंबर को Swiggy, Zomato, Blinkit, Zepto की डिलीवरी है बंद, जानें वजह
punjabkesari.in Tuesday, Dec 30, 2025 - 06:38 PM (IST)
नेशनल डेस्क : अगर आप नए साल की पार्टी की तैयारी ऑनलाइन फूड और ग्रॉसरी ऐप्स के भरोसे कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए अहम है। 31 दिसंबर को Swiggy, Zomato, Blinkit, Zepto जैसे बड़े फूड और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की सेवाएं आंशिक या पूरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। वजह है देशभर के गिग और प्लेटफॉर्म डिलीवरी वर्कर्स की प्रस्तावित हड़ताल।
क्यों हड़ताल पर जा रहे हैं गिग वर्कर्स?
यह हड़ताल तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के आह्वान पर बुलाई गई है। यूनियनों का कहना है कि त्योहारों और खास मौकों पर डिलीवरी वर्कर्स पर जरूरत से ज्यादा काम का दबाव डाला जाता है, लेकिन इसके बदले उनकी कमाई लगातार घट रही है। वर्कर्स का आरोप है कि काम के घंटे तय नहीं हैं, सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है और कई बार बिना किसी स्पष्ट वजह के उनकी आईडी बंद कर दी जाती है, जिससे उनका रोजगार सीधे तौर पर खतरे में पड़ जाता है।
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25 और 31 दिसंबर को क्यों चुना गया?
यूनियनों ने 25 दिसंबर (क्रिसमस) और 31 दिसंबर (न्यू ईयर ईव) को काम बंद करने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि ये दिन फूड डिलीवरी और ऑनलाइन ऑर्डर के लिहाज से सबसे व्यस्त माने जाते हैं। उनका कहना है कि इन्हीं दिनों कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाती हैं, लेकिन वर्कर्स को उसका सही हिस्सा नहीं मिलता।
10 मिनट डिलीवरी मॉडल पर उठे गंभीर सवाल
गिग वर्कर्स का कहना है कि 10 मिनट में डिलीवरी जैसे फास्ट मॉडल उनकी जान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। भारी ट्रैफिक, प्रदूषण और समय के दबाव में तेज रफ्तार से बाइक चलाना जोखिम भरा होता है। यूनियनों का आरोप है कि ऐप्स के एल्गोरिदम ऐसे टारगेट सेट करते हैं, जो वर्कर्स को असुरक्षित ड्राइविंग के लिए मजबूर करते हैं। इससे सड़क हादसों का खतरा भी बढ़ जाता है।
ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?
क्रिसमस और न्यू ईयर ईव को फूड डिलीवरी और ऑनलाइन ग्रॉसरी का पीक सीजन माना जाता है। हड़ताल की वजह से मेट्रो शहरों के साथ-साथ बड़े टियर-2 शहरों में भी ऑर्डर मिलने में देरी या कैंसिलेशन की स्थिति बन सकती है। कुछ इलाकों में पहले ही इंस्टेंट डिलीवरी सेवाओं के प्रभावित होने की खबरें सामने आ चुकी हैं। ऐसे में आखिरी समय पर पार्टी के लिए ऑर्डर करना मुश्किल हो सकता है।
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सरकार और गिग इकॉनमी से जुड़ा बड़ा सवाल
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020-21 में भारत में करीब 77 लाख गिग वर्कर्स थे और 2029-30 तक यह संख्या बढ़कर 2.35 करोड़ तक पहुंच सकती है। सरकार ने सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत गिग वर्कर्स को पहचान देने की पहल जरूर की है, लेकिन यूनियनों का कहना है कि इससे उनकी समस्याएं पूरी तरह हल नहीं होतीं। न्यूनतम आय, सामाजिक सुरक्षा और ऐप्स के एल्गोरिदमिक कंट्रोल को लेकर स्पष्ट नियम बनाने की मांग अब और तेज हो गई है।
