दिल्ली: AIIMS में नए तरह के फंगस से 2 लोगों की मौत, दवाओं का भी कोई असर नहीं...डॉक्टर हैरान

punjabkesari.in Tuesday, Nov 23, 2021 - 01:27 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना का कहर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है कि देश में फंगस के खतरनाक नए स्ट्रेन ने दस्तक दे दी है। दिल्ली के एम्स में इस नए फंगस के दो मरीज मिले हैं। दिल्ली के एम्स डॉक्टरों ने क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमनरी डिजिज (COPD) से पीड़ित दो मरीजों में एस्परगिलस लेंटुलस (Aspergillus lentulus) की मौजूदगी की पुष्टि की है। दोनों मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई। एस्परगिलस लेंटुलस दरअसल एस्परगिलस फंगस की एक प्रजाति है जो फेफड़ों में संक्रमण पैदा करता है। सबसे बड़ी चिंता की बात है कि इस पर मौजूदा दवाओं का असर नहीं होदता। इसका पहली बार 2005 में मेडिकल जर्नल्स में जिक्र किया गया था। 

 

भारत में पहला मामला
कई देशों में मनुष्यों में इस फंगस की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार यह पहली बार है जब भारत में एस्परगिलस की इस प्रजाति से किसी के संक्रमित होने की बात सामने आई है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (IJMM) की प्रकाशित एक केस रिपोर्ट के मुताबिक जान गंवाने वाले दो मरीजों में से एक की उम्र 50 के आसपास थी। दूसरे मरीज की उम्र 40 के करीब थी। दोनों को COPD था। पहले व्यक्ति को एक निजी अस्पताल से एम्स रेफर किया गया था। उस पर ऑक्सीजन थेरेपी के अलावा एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल के इस्तेमाल किया गया लेकिन संक्रमण कम नहीं हुआ। इस रिपोर्ट को एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से जावेद अहमद, गगनदीप सिंह, इमाकुलता जेस और मृगनयनी पांडेय सहित पल्मोनोलॉजी विभाग से अनंत मोहन, जन्य सचदेव, प्रशांत मणि और भास्कर रामा द्वारा लिखा गया है।

 

दवाओं का भी नहीं हो रहा असर
IJMM की रिपोर्ट में कहा गया कि मरीज को AIIMS में एम्फोटेरिसिन बी और मौखिक वोरिकोनाजोल इंजेक्शन दिया गया था। फंगल संक्रमण से मरने से पहले एक महीने से अधिक समय तक उसकी ​​स्थिति में कोई खास सुधार नहीं देखा गया। वहीं, दूसरे मरीज को बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद एम्स की इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया। उन्हें एम्फोटेरिसिन बी भी दिया गया था, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ और एक हफ्ते बाद मल्टी-ऑर्गन फेल्योर से मरीज की मृत्यु हो गई।

 

अधिक जानलेवा होने लगे हैं फंगस
WHO के फंगस पर अनुसंधान के विभाग के अध्यक्ष डॉ अरुणालोक चक्रवर्ती के अनुसार हमारे पर्यावरण में फंगस की एक लाख से अधिक प्रजातियां हैं। लगभग एक दशक पहले तक इनमें से 200 से 300 को बीमारी का कारण माना जाता था। हालांकि अब 700 से अधिक ऐसे फंगस की पहचान की जा चुकी है जो बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इनमें से कुछ पर उपलब्ध दवाओं का भी असर नहीं होता है। डॉक्टरों के मुताबिक आने वाले दिनों में फंगल संक्रमण के और खतरनाक होने की आशंका है। कुछ जानकारों के मुताबिक फंगल संक्रमण में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग भी है। यह अच्छे और बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया को मार देता है। ऐसे में फंगस के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण शरीर में हो जाता है जो बीमारियों का कारण बनते हैं।


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Content Writer

Seema Sharma

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