Delhi Pollution Effects on Child Brain: दिल्ली की जहरीली हवा सिर्फ फेफड़े नहीं, बच्चों का दिमाग भी कर रही खराब
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 04:15 PM (IST)
Delhi Pollution Effects on Child Brain : दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों वायु प्रदूषण को लेकर हर तरफ चिंता का माहौल है। लगातार खराब होती हवा की गुणवत्ता अब लोगों की सेहत पर गंभीर असर डालने लगी है। यह समस्या केवल खांसी, आंखों में जलन या सांस की तकलीफ तक सीमित नहीं रह गई है। चिकित्सकों का कहना है कि बढ़ता प्रदूषण दिल और दिमाग को भी अंदर से नुकसान पहुंचा रहा है। एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, मौजूदा समय में वायु प्रदूषण एक बड़ी मानसिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया है। खासतौर पर जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लंबे समय तक खराब स्तर पर बना रहता है, तो इसका सीधा प्रभाव बच्चों के मस्तिष्क विकास पर पड़ता है, जिसे नजरअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है।
अध्ययन में क्या हुआ खुलासा?
अमेरिका में किए गए अध्ययन में बताया गया है कि बच्चों का दिमाग विकास की अवस्था में होता है, इसलिए वे वायु प्रदूषण में मौजूद जहरीले तत्वों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण शरीर में प्रवेश कर सीधे मस्तिष्क के विकास और उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। जब शरीर लगातार उच्च स्तर के AQI के संपर्क में रहता है, तो शरीर में सूजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। सर्दियों के मौसम में ठंड और स्मॉग के कारण यह प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
शोध के अनुसार, यह सूजन मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों में ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, सीखने की क्षमता में कमी और स्मरण शक्ति कमजोर होने जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इसके अलावा, बच्चों में चिड़चिड़ापन, उदासी और व्यवहार से जुड़ी दिक्कतें भी बढ़ने लगती हैं, जो उनके मानसिक विकास के लिए चिंताजनक संकेत माने जा रहे हैं।
बच्चों में बढ़ सकता है गंभीर बीमारियों का खतरा
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि जिन बच्चों में पहले से ADHD, अल्जाइमर, डिमेंशिया या पार्किंसंस जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की आशंका होती है, उनमें वायु प्रदूषण के कारण लक्षण और अधिक गंभीर हो सकते हैं। ऐसे बच्चों में बेचैनी, गुस्सा, आवेगशील व्यवहार और अवसाद की संभावना बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए शरीर को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। खासकर अस्थमा, एंग्जायटी या ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों में घबराहट, पैनिक अटैक, नींद की कमी और व्यवहार में अचानक बदलाव अधिक देखने को मिलते हैं। यह स्थिति बच्चों की पढ़ाई, सामाजिक व्यवहार और भावनात्मक संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है।
बच्चों को प्रदूषण से बचाना क्यों है जरूरी?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण को केवल पर्यावरण या सांस से जुड़ी समस्या मानना एक बड़ी भूल है। यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या भी बन चुकी है, जिसका असर लंबे समय तक रह सकता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि हाई AQI वाले दिनों में बच्चों को बाहर खेलने से रोकना चाहिए। बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाना चाहिए और घर के अंदर साफ हवा बनाए रखने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
