शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर कल सुनवाई करेगी दिल्ली हाईकोर्ट, राजद्रोह केस से जुड़ा है मामला

punjabkesari.in Sunday, Apr 09, 2023 - 03:04 PM (IST)

 

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय 2020 में शहर में हुए दंगे के एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम की जमानत अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगा। शरजील पर राजद्रोह का आरोप है। यह याचिका न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। इसमें निचली अदालत के 24 जनवरी 2022 के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत इमाम की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने 30 जनवरी को दिल्ली पुलिस से जानना चाहा था कि क्या शरजील की जमानत अर्जी ‘निर्णय' के लिए निचली अदालत के पास भेजी जा सकती है, क्योंकि इस राहत की मांग को खारिज करने संबंधी निचली अदालत के आदेश में उसका आधार नहीं बताया गया है। पीठ ने कहा था कि चूंकि, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-124 ए (राजद्रोह) पर रोक लगा रखी है, ऐसे में शरजील के खिलाफ लगाई गई अन्य धाराओं को दिमाग में रखते हुए निचली अदालत के जमानत अर्जी खारिज किए जाने के आदेश का परीक्षण करना होगा।

इन धाराओं के तहत तय किए आरोप 
निचली अदालत ने पिछले साल शरजील पर आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह), 153 ए(वैमनस्य फैलाना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक अवांछनीय हरकत), 505 (सामाजिक शांति भंग करने वाले बयान) तथा गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 (अवैध गतिविधि के लिए दंड) के तहत आरोप तय किए थे।

अभियोजन के अनुसार, शरजील ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से ऐसा भाषण दिया था, जिसमें उसने असम एवं पूर्वोत्तर भाग को देश से अलग करने की धमकी दी थी। उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में शरजील ने कहा है कि निचली अदालत यह ‘समझने में विफल रही' कि शीर्ष अदालत के निर्देश के आलोक में उसकी पूर्व जमानत अर्जी को खारिज किए जाने का आधार यानी राजद्रोह का आरोप तो टिकता ही नहीं है, इसलिए उसे राहत दी जाए।


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Content Editor

rajesh kumar

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