सीरिया में तख्तापलट से भारत की कश्मीर को लेकर बढ़ी टेंशन, तुर्की का भी कनेक्शन

punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 03:38 PM (IST)

International Desk: सीरिया की राजधानी दमिश्क से खबर आई है कि राष्ट्रपति बशर-अल-असद को विद्रोहियों के डर से देश छोड़कर रूस में शरण लेनी पड़ी है। दमिश्क में विद्रोही समूह लगातार रैलियां कर रहे हैं और तख्तापलट का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, अमेरिका ने सीरिया में अपने हवाई हमले तेज कर दिए हैं। सीरिया में चल रही यह उथल-पुथल न केवल इस देश का आंतरिक मामला है बल्कि इसका प्रभाव भारत के विदेश नीति और कश्मीर के मसले पर भी पड़ सकता है।

  
असद सरकार का भारत के लिए महत्व 
बशर-अल-असद की सरकार को  सेक्युलर माना जाता था। सीरिया ने हमेशा कश्मीर के मसले पर भारत के रुख का समर्थन किया। इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में भी सीरिया का रुख भारत के खिलाफ नहीं रहा। 2019 में जब भारत ने  अनुच्छेद 37 * हटाया, तब तुर्की और मलेशिया जैसे देशों ने इसकी आलोचना की थी, लेकिन असद सरकार ने इसे भारत का आंतरिक मामला  बताया थ।  

 

 तहरीर अल-शाम और तुर्की का समर्थन 
अब सत्ता पर कब्जा करने वाला विद्रोही समूह  तहरीर अल-शाम है, जिसे तुर्की का समर्थन प्राप्त है। तुर्की ने हमेशा कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का पक्ष लिया है।  तुर्की ने कई बार संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत के खिलाफ बयान दिए हैं।  यह विद्रोही संगठन तुर्की से हथियारों और अन्य मदद प्राप्त करता है। तहरीर अल-शाम के सत्ता में आने का मतलब है कि सीरिया की नीति तुर्की के प्रभाव में आ सकती है। इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है, क्योंकि तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ हमेशा कड़ा रुख अपनाया है।  
 
ISIS  का खतरा 
सीरिया में असद सरकार का पतन केवल राजनीतिक बदलाव नहीं है, बल्कि इसका असर सुरक्षा पर भी पड़ेगा। 2014 में असद सरकार ने रूस और ईरान की मदद से इस्लामिक स्टेट (ISIS) को नेस्तनाबूद कर दिया था। अब असद सरकार की विदाई के साथ आईएस जैसे आतंकी संगठनों के फिर से उभरने का डर है।  ISIS  पहले भी कश्मीर का जिक्र अपने दस्तावेजों में कर चुका है।   वह कश्मीर को खुरासान का हिस्सा मानता है।  
 कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों का उभार और उनका भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा कश्मीर में आतंकवाद को हवा दे सकता है।  
 
 भारत के लिए चुनौतियां  


1.  कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव  
   तुर्की समर्थित विद्रोही संगठन के सत्ता में आने से कश्मीर के मसले पर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।  

2.  आतंकी संगठनों का विस्तार   
   आईएस जैसे संगठनों का सीरिया में उभार कश्मीर और आसपास के क्षेत्रों में आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।  

3.  राजनयिक समर्थन का नुकसान   
   असद सरकार ने हमेशा कश्मीर पर भारत के रुख का समर्थन किया। नई सरकार भारत के लिए इतनी अनुकूल नहीं हो सकती।  


 
सीरिया में तख्तापलट केवल इस देश का आंतरिक मामला नहीं है। इसका असर भारत की कूटनीति और सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। कश्मीर के मुद्दे पर तुर्की समर्थित सरकार के आने से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध झेलना पड़ सकता है। साथ ही, कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों के बढ़ते खतरे को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत को इस परिस्थिति में अपनी रणनीति को सावधानीपूर्वक तैयार करना होगा।


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Content Writer

Tanuja

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