सहकारी क्षेत्र से 2030 तक 11 करोड़ रोजगार के अवसर, सरकार को मिल सकती है राहत

punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2024 - 03:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और इससे जुड़े सवाल सरकार के लिए लगातार चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में एक नई रिपोर्ट से सरकार को कुछ राहत मिल सकती है। प्राइमस पार्टनर्स नामक मैनेजमेंट कंसल्टेंसी कंपनी की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सहकारी क्षेत्र (को-ऑपरेटिव सेक्टर) भारत में 2030 तक 5.5 करोड़ नौकरियों और 5.6 करोड़ स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकता है। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में कामकाजी लोगों की संख्या लगभग 11 करोड़ तक पहुंच सकती है। अगर सरकार इस क्षेत्र पर ध्यान देती है, तो बेरोजगारी से जुड़ी समस्याओं का समाधान होने की संभावना है।

सहकारी क्षेत्र की अपार क्षमता
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का सहकारी क्षेत्र दुनिया भर में सबसे बड़ा है और यहां करीब 9 लाख सहकारी समितियां काम कर रही हैं, जो दुनिया की 30 लाख सहकारी समितियों का लगभग 30% हिस्सा हैं। यह क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समानता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर इसे सही दिशा में बढ़ावा दिया जाता है, तो यह बेरोजगारी के मुद्दे पर भी असर डाल सकता है।

सहकारी क्षेत्र का GDP में योगदान
प्राइमस पार्टनर्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सहकारी क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान आने वाले समय में बढ़ सकता है। फिलहाल यह क्षेत्र GDP में 3% योगदान देता है, जो 2030 तक बढ़कर 5% तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, रोजगार और स्वरोजगार के क्षेत्र में इस क्षेत्र का योगदान 10% से ज्यादा हो सकता है।

रोजगार सृजन में सहकारी क्षेत्र का योगदान
अगर हम पिछले आंकड़ों को देखें, तो यह साफ पता चलता है कि सहकारी क्षेत्र रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 2016-17 में सहकारी क्षेत्र ने कुल रोजगार का 13.3% हिस्सा दिया था, जो कि 2007-08 के मुकाबले 18.9% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा, स्वरोजगार के अवसरों की बात करें, तो 2006-07 में इस क्षेत्र ने 15.47 मिलियन (1.54 करोड़) स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न किए थे, जो 2018 तक बढ़कर 30 मिलियन (3 करोड़) तक पहुंच गए।

प्रमुख सहकारी संस्थाएं
भारत में सहकारी क्षेत्र में कई बड़ी और सफल संस्थाएं हैं, जिनमें इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र को-ऑपरेटिव (IFFCO), अमूल, आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड और सुधा डेयरी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। ये संस्थाएं न केवल किसानों और ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न कर रही हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान दे रही हैं।

2030 तक सहकारी क्षेत्र का भविष्य
अगर भारत 2030 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करना चाहता है, तो सहकारी क्षेत्र का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहेगा। इस क्षेत्र को न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगा। यह क्षेत्र भविष्य में एक शक्तिशाली इंजन की तरह काम कर सकता है, जो देश की समृद्धि और प्रगति में अहम भूमिका निभाएगा। सहकारी क्षेत्र भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है। यदि सरकार इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग करती है, तो यह बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने में सहायक हो सकता है। साथ ही, यह देश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकता है।


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Content Editor

Mahima

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