''तारक मेहता का उल्टा चश्मा'' के कंटेंट अब नहीं इस्तेमाल कर पाएंगे, दिल्ली HC ने लगाई रोक, जानें क्या है मामला

punjabkesari.in Saturday, Aug 17, 2024 - 08:17 PM (IST)

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के नाम, पात्रों और विषय-वस्तु के अनधिकृत इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इस धारावाहिक के निर्माताओं ने आरोप लगाया है कि कई संस्थाएं व्यावसायिक लाभ के लिए वेबसाइट संचालित कर, उत्पाद बेचकर और यहां तक कि यूट्यूब पर ‘‘अश्लील'' वीडियो प्रसारित कर इसके नाम, पात्रों की तस्वीरें आदि का इस्तेमाल कर रही हैं। सोलह से अधिक वर्ष से प्रसारित हो रहे इस धारावाहिक के लगभग 4,000 एपिसोड आ चुके हैं।

जस्टिस मिनी पुष्करणा ने धारावाहिक के प्रोड्यूसर की याचिका पर कई ज्ञात और अज्ञात संस्थाओं के खिलाफ एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि अगर एकतरफा अंतरिम रोक नहीं लगायी गयी तो वादी को अपूरणीय क्षति होगी। वादी ‘नीला फिल्म प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड' ने कहा कि उसके पास अपने धारावाहिक और इसके पात्रों से संबंधित भारत में कई पंजीकृत ट्रेडमार्क पर वैधानिक अधिकार हैं। इसके कुछ ट्रेडमार्क ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा', ‘उल्टा चश्मा', ‘तारक मेहता', ‘जेठालाल', ‘गोकुलधाम' आदि हैं।

अदालत को सूचित किया गया कि वादी के पास इस धारावाहिक के विभिन्न पात्रों और एनीमेशन का कॉपीराइट है, लेकिन इसके बावजूद कुछ संस्थाएं वेबसाइट तथा ई-वाणिज्य मंचों के जरिये अवैध तरीके से उत्पाद बेच रही हैं। वादी ने कहा कि अवैध तरीके से बेचे जा रहे उत्पाद में इस धारावाहिक के पात्रों की तस्वीरों और संवाद वाली टी-शर्ट, पोस्टर और स्टिकर शामिल हैं।

अदालत ने 14 अगस्त के अपने इस आदेश में कहा कि अश्लील सामग्री समेत धारावाहिक के पात्र या सामग्री वाले यूट्यूब वीडियो को हटाने की आवश्यकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर आपत्तिजनक वीडियो 48 घंटे के भीतर नहीं हटाए जाते हैं तो सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार विभाग संबंधित इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सभी लिंक या वीडियो हटाने के लिए कहेंगे।

धारावाहिक के निर्माता असित कुमार मोदी ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह एक कड़ा संदेश देता है कि धारावाहिक की बौद्धिक संपदा का इस तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी कड़ी मेहनत का दुरुपयोग होते देखना निराशाजनक है। हम हमारी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के महत्व को स्वीकार करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के आभारी हैं।”


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Content Writer

Yaspal

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