चंडीगढ़ समेत 8 सीटें जीतकर कांग्रेस ने मारी बाजी, दिल्ली हार का ठीकरा कांग्रेसी फोड़ रहे हैं AAP पर

punjabkesari.in Thursday, Jun 06, 2024 - 07:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क (शारदा) : 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर परिणाम ऐसे आए हैं कि सभी इससे प्रसन्नचित नजर आ रहे हैं। एप्सूलूट पॉवर का न मिल पाना लोगों को पसंद आ रहा है। राष्ट्रीय स्तर एवं पंजाब स्तर पर सत्तारूढ़ दल को इन चुनावों के परिणामों में कुछ न कुछ झटका जरूर लगा है। चुनावों का विश्लेषण शुरू हो चुका है लेकिन कुछ तथ्य उभरकर सामन आए हैं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी 13-0 के लख्य को क्यों नहीं प्राप्त कर सकी और 7 सीटें जीतकर कांग्रेस खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही है। ऊपर से चण्डीगढ़ की सीट मिलना कांग्रेस के लिए एक बड़ा सुखद पल है। हरियाणा में भी कांग्रेस की पांच सीटे आ गई हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस अपना उज्जवल भविष्य देख रही है।

कांग्रेस-आप के राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन के मायने

चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस और आप के राष्ट्रीय स्तर पर जो गठबंधन हुआ है उसमें सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को मिला है। इंडिया गठबंधन में आप के अरविंद केजरवाल और भगवंत मान मीटिंगों में भाग लेते रहे हैं और राहुल गांधी एवं अन्य नेताओं से बातचीत करते रहे हैं। परिणाम स्वरूप दिल्ली की 7 सीटों पर और हरियाणा में कांग्रेस-आप का गठबंधन हुआ और यह गठबंधन देश के अन्य भागों में भी लागू रहा परंतु पंजाब में एक फ्रैंडली मैच हुआ जिसमें आप और कांग्रेस दोनों ने आमने-सामने चुनाव लड़ा।

चुनावों से छह माह पहले ही इंडिया गठबंधन के बनते ही आम आदमी पार्टी की सरकार ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं को पंजाब में लगभग फ्री हैंड दे दिया। जांच एजंसियां पूरी तरह से कांग्रेस के प्रति सौफ्ट हो गई और इन 8-10 माह में कांग्रेस को खुलकर पंजाब में काम करने का अवसर मिल गया। परिणाम स्वरूप कांग्रेस मजबूत होती गई और अब नतीजे सभी के सामने हैं।

आप नेताओं ने चुनावों में कांग्रेस के प्रति बनाए रखी रहस्यमयी चुप्पी

पंजाब में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का था परंतु फिर भी आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने कांग्रेस के बारे में टिपणी करने से गुरेज किया और अधिक्तर हमला भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल पर रखा। जिसके साथ मुख्य मुकाबला था उसक ो तो टारगेट करना आप के लिए आसान नहीं था। दूसरी ओर कांग्रेस के स्थानीय दिगज नेता शुरू से ही आप सरकार पर पूरा हमला करते रहे।

उन्होंने यहा तक कहना शुरू कर दिया कि आप को वोट देना किसी भी प्रकार से फायदे में नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री तो राहुल गांधी ने बनना है तो इनका वोट भी गठबंधन सरकार को जाना है इसलिए आप सीधा कांग्रेस को ही वोट दो। जिसका वोटरों पर काफी प्रभाव रहा। कुछ सीटों पर जहां सख्त मुकाबला था वह अंत:त कांग्रेस के पक्ष में चली गई। कांग्रेस पूरी तरह से आम आदमी पार्टी का इस्तेमाल करने में सफल रही। कांग्रेस को हरियाणा में भी आप कैडर का भरपूर फायदा हुआ और चण्डीगढ़ की सीट तो आप के पूर्ण सहयोग से ही जीती गई। जहां पर मार्जन मात्र 2500 वोटों का था।

दिल्ली की हार का ठीकरा भी अब कांग्रेसी फोड़ रहे हैं आप पर

एलओपी नेता स. प्रताप सिंह बाजवा ने स्पष्ट रूप से कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना हमें बहुत महंगा पड़ा है। अगर हम यह गठबंधन न करते तो हमारी वहां पर 3-4 सीटें पक्की थी। जैसे पंजाब में 7, हरियाणा में 5 और राजस्थान में 10 सीटें हम जीते हैं, इसी प्रकार हमने यूपी में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। दिल्ली में हार का कारण आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन है और हमने हाईकमान को इसके बारे में सुचेत भी किया था। अब जबकि कांग्रेस एक बड़ी राजनीतिक फोर्स बन चुकी है और आप के पास मात्र 3 ही सांसद हैं। ऐसी स्थिति में अब कांग्रेस को आम आदमी पार्टी की अधिक आवश्यकता नहीं। चाहे पंजाब में आम आदमी पार्टी ओर कांग्रेस का वोट शेयर लगभग बराबर है परंतु 7 सीटें जीतकर कांग्रेस 2027 के लिए अपनी राजनीतिक गतिविधियां तेज करने में लग गई है।

2027 में पंजाब में सत्ता में आना और आम आदमी पार्टी को उखाड़ फैंकना कांग्रेस का लक्ष्य है। जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी के साथ पंजाब में खेला कांग्रेस ने किया है वह उसकी राजनीतिक सूझबूझ और प्लानिंग का परिणाम है। चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी को खुला मैदान मिला और अगर कुछ ईडी और इंकम टैक्स की तरफ से रेड भी हुए जिसमें बटाला और रोपड़ की रेड शामिल है का अधिक नुकसान कांग्रेस को नहीं हुआ और कांग्रेस और भी मजबूत होकर निकली। क्योंकि मुकाबला तो कांग्रेस एवं आप का था न कि कांग्रेस और भाजपा का। आने वाले समय में राजनीतिक स्थितियां काफी रौचक बनने वाली हैं।

7 सीटें जीतने के बाद अब प्रशासन भी हलके में नहीं ले सकता कांग्रेस को

निसंदेह पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। सरकार अपने आप को पुन: स्थापित करने के लिए और अपना खोया हुआ राजनीतिक वोट बैंक पुन: प्राप्त करने के लिए जोर शोर से कार्य करेगी परंतु जिस प्रकार से 7 सीटें जीतकर कांग्रेस पंजाब में मजबूती से आगे बढ़ रही है। अब प्रशासन कांग्रेस को हलके में नहीं ले सकता। 2027 में कांग्रेस के पुन वापिस आने की संभावनाओं के चलते प्रशासनिक लोग भी खुलकर कांग्रेसी नेताओं पर दवाब बनाने की स्थिति में नहीं हैं। इन चुनावों में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन का भाग बनकर बहुत कुछ पाया है वहीं आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ जुडक़र अपना नुकसान करवाई गई और उन्हें कोई राजनीतिक फायदा नहीं हुआ। अब उन्हें पुन: मेहनत से अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। देखने में दो वर्ष का समय है परंतु 2027 क ब आ जाएगा इसका पता भी नहीं चलेगा।

अब कांग्रेस पानी पी पीकर आम आदमी पार्टी को कांग्रेसी और अपना आधार और मजबूत करके पंजाब में विकल्प बनेगी क्योंकि कांग्रेस के दिगज नेता प्रताप ङ्क्षसह बाजवा, सुखजिन्द्र सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी, राज वडिंग, डा. अमर सिंह, गुरजीत सिंह औजला आदि अब लोकसभा में गरजेंगे तथा पंजाब में भी आम आदमी पार्टी का डटकर मुकाबला करेंगे। कुछ माह बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव होंगे वहां पर भी अब कांग्रेस और आप का एकसाथ रहना संभव नहीं लगता।


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News Editor

Parveen Kumar

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