एक क्ल‍िक में जानें कौन हैं तीन राज्यों में CM के रूप में विराजमान होने वाले ये धुरंधर

punjabkesari.in Monday, Dec 17, 2018 - 02:22 PM (IST)

नई दिल्ली: लंबे समय से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस आखिरकार अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रहीं। तीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में पिछले 5 से 15 सालों से बीजेपी राज करती आई है। इसबार कांग्रेस ने तीनों राज्यों से बीजेपी का सफाया कर यहां अपनी जीत का परचम लहरा दिया है। कांग्रेस ने तीनों राज्यों में युवा शक्ति को छोड़ इस बार अनुभव पर विश्वास दिखाया है। राज्यों की कमान वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई है। राजस्थान में अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ में भूपेश बेघल, और मध्यप्रदेश में ये जिम्मेदारी कमलनाथ को सौंपी गई है। आईए जानते हैं कौन है  तीन राज्यों में CM के रूप में विराजमान होने वाले ये धुरंधर।

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कमलनाथ के हाथों है राज्य की कमान
सबसे पहले बात करते है सबसे बड़े राज्य मध्यप्रदेश के बारे में जहां पिछले 15 सालों से बीजेपी राज कर रही थी। मध्यप्रदेश को बीजेपी का गढ़ माना जाता था और यहां शिवराज सिंह चौहान को शिकस्त देने बड़ी चुनौती थी। राज्य में कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल कर दो सीटों की समर्थन बसपा और सपा से लेने के बाद राज्य में अपनी सरकार बनाई है। अब कमलनाथ के हाथों राज्य की कमान है। कमलनाथ को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य का अध्यक्ष बनाया है। छिंदवाडा से सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ सिंह एक कद्दावार नेता हैं। 2018 के इन चुनावों में वो सबेस वरिष्ठ नेता है जो कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। 

कानपुर में हुआ था कमलनाथ का जन्म
कमलनाथ का जन्म 18 नवंबर 1946 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ। उन्होंने देहरादून के दून स्कूल से पढ़ाई-लिखाई की और बाद में कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज चले गए। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और सेंट जेवियर कॉलेज चले गए। 34 साल की उम्र में वो छिंदवाड़ा से जीत कर पहली बार लोकसभा सदस्य बने थे। कमलनाथ अपना दिल्ली वाला कार्यालय 24 घंटे कार्यकर्ताओं के लिए खुला रखते हैं। कमलनाथ नौ बार सांसद रह चुके है। इनके नाम बहुत सी सफलता है इसके बाद ही इन्हें मध्यप्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया है। 

गांधी परिवार से पुराना नाता 
गांधी परिवार के साथ कमलनाथ के पूराने रिश्ते रहे हैं। गांधी परिवार से कमलनाथ की पुरानी दोस्ती रही है। संजय गांधी और कमलनाथ की गहरी दोस्ती रही है। दोनों दून स्कूल से दोस्त है। इसी वजह से वो गांधी परिवार के बेहद करीब रहे है। उनकी छवि के बारे में बात करे तो कमलनाथ ही छवि बहुत ही साफ सुथरी वाले नेता की रहीं हैं। 

चुनिंदा नेताओं में होती है कमलनाथ की गिनती
कमलनाथ की गिनती उन चुनिंदा नेताओं में होती है जो संकट के समय भी पार्टी के साथ खड़े रहते हैं। चाहे वो राजीव गांधी का निधन हो, 1996 से लेकर 2004 तक जिस संकट से कांग्रेस गुजर रही थी, इस दौरान भी वह पार्टी के साथ रहे वो भी तब जब शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था। इसके बाद 26 अप्रैल 2018 को उन्हें मध्यप्रदश कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। 

छिंदवाड़ा की जनता का कमलनाथ के साथ पूरा भरोसा 
छिंदवाडा में कमलनाथ की अच्छी खासी पकड़ रही है। वहां के लोग कमलनाथ पर पूरा भरोसा करते है। यहीं वजह है कि वो 7 बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। छिंदवाड़ा एक आदिवासी क्षेत्र माना जाता है जिसके लिए कमलनाथ ने यहां आदिवासियों को रोजगार और जिंदगी दी है। 

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अशोक गहलोत का राजनीतिक सफर
अशोक गहलोत को राजनीति में एक अलग ही मुकाम हासिल है। वह अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे जिसके बाद साल 1980 में उन्होंने पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में धमाकेदार एंट्री मारी। इसके बाद वह 1984, 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद भवन पहुंचे। संसद भवन में अपनी धाक जमाने के बाद गहलोत ने राज्य स्तर पर राजनीति करने का फैसला लिया। 

जोधपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे गहलोत
इसके बाद गहलोत साल 1999 में पहली बार सरदारपुरा जोधपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वह 2003 और 2008 में भी इसी सीट से चुनाव जीते। अशोक गहलोत दो बार राजस्थान के सीएम भी बन चुके हैं। वह साल1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे। इसके अलावा वह इंद्रा सरकार सहित तीन बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।  

खूब किए सामाजिक कार्य
राज्य की राजनीति में गहलोत को उन लोगों में शुमार किया जाता है जो समाज सेवा के ज़रिए राजनीति में दाखिल हुए और फिर ऊंचाई तक पहुंचे। 1971 में जोधपुर का एक नौजवान बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविर में काम करते दिखा। हालांकि ये पहली बार नहीं था जब गहलोत किसी सामाजिक कार्ये से जुड़े थे। इससे पहले वो 1968 से 1972 के बीच गाँधी सेवा प्रतिष्ठान के साथ सेवा ग्राम में काम कर चुके थे। 

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भूपेश सिंह बेघल
1961 में मध्य प्रदेश में जन्मे भूपेश बघेल किसान परिवार से संबंध रखते है। बेघल ने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई पूरी की। बेघल की छवि कांग्रेस के आक्रमक राजनीति करने वाले कांग्रेस के नेता के तौर पर है। चार सालों तक भूपेश कांग्रेस के ज़िला अध्यक्ष रहे इसके बाद इन्हें मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 

1993 में पहली बार लड़ा था दुर्ग से चुनाव
पहली बार 1993 में भूपेश बेघल ने दुर्ग से चुनाव लड़ा और बसपा उम्मीदवार केजूराम वर्मा को चुनाव हरा विधानसभा में पहुंचे। 1998 में जब इन्होंने बीजेपी की निरुपमा चंद्राकर को हराया इसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद कांग्रेस को सत्ता से बाहर जाना पड़ा। 2003 में हार के बाद उन्हें विपक्षी दल का उपनेता बनाया गया। हालांकि 2004 में दुर्ग से और 2009 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन उन्हें दोनों ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2008 में विधानसभा चुनाव भी हार गए। 

2013 में फिर की वापसी 
2013 में वे फिर से चुनाव जीत कर आए और बस्तर के झीरम में हुए संदिग्ध माओवादी हमले में बड़ी संख्या में शीर्ष कांग्रेस नेताओं की हत्या के बाद उन्हें दिसंबर 2014 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। तभ से लेकर अब तक वो इस पद पर कार्यरत हैं। हाल में हुआ विधानसभा चुनाव भूपेश बेघल के नेतृत्व में लड़ा गया।  जिसमें नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत और ताम्रध्वज साहू जैसे नेताओं ने एकजुट हो कर विधानसभा की 90 में से 68 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की।


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Anil dev

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