हाई कोर्ट का बड़ा फैसला- पत्नी का Virginity Test कराना संविधान का उल्लंघन
punjabkesari.in Monday, Mar 31, 2025 - 10:41 AM (IST)

नेशनल डेस्क. एक महिला ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति को नपुंसक बताया था। इसके बाद पति ने जवाब में पत्नी के चरित्र पर सवाल उठाते हुए उसका वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity Test) करवाने की मांग की। फैमिली कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया, जिसके बाद पति ने हाई कोर्ट में अपील की। अब हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है।
हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी महिला को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है। अनुच्छेद-21 के तहत महिलाओं को सम्मान, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्जिनिटी टेस्ट करवाने का आदेश न केवल महिला के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि किसी भी स्थिति में महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। महिला के कौमार्य परीक्षण का आदेश देना मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। इससे पहले फैमिली कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2024 को पति की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद पति ने हाई कोर्ट में अपील की थी।
पत्नी और पति के आरोपों पर हाई कोर्ट का रुख
पत्नी ने पति पर आरोप लगाया था कि वह नपुंसक है और संबंध बनाने से इंकार करता है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि अगर पति अपने नपुंसकता के आरोपों को गलत साबित करना चाहता है, तो वह अपना मेडिकल टेस्ट करवा सकता है और संबंधित प्रमाण कोर्ट में प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि, पत्नी का वर्जिनिटी टेस्ट करवाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
दंपत्ति की शादी और विवाद
इस जोड़े की शादी 30 अप्रैल 2023 को हुई थी। महिला रायगढ़ जिले की रहने वाली है, जबकि उसका पति कोरबा जिले का रहने वाला है। महिला ने पति के खिलाफ 2 जुलाई 2024 को याचिका दायर कर 20 हजार रुपये भरण-पोषण की मांग की थी। महिला ने आरोप लगाया कि पति नपुंसक है और उसने कभी उससे संबंध बनाने की कोशिश नहीं की। वहीं पति ने आरोप लगाया कि पत्नी के अन्य पुरुष से अवैध संबंध थे और उसने कभी उससे शारीरिक संबंध नहीं बनाए।