राज्यसभा में बोले शाह-अवैध घुसपैठियों की पहचान जरूरी थी, संसद में मचा हंगामा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 31, 2018 - 04:11 PM (IST)

नई दिल्लीः भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को 1985 में कांग्रेस द्वारा घोषित योजना का परिणाम बताते हुए आज कहा कि इसे लागू करने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी इसलिए यह योजना अब तक लंबित रही। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर आज राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए शाह ने कहा कि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौते के तहत एनआरसी बनाने की घोषणा की थी। एनआरसी को असम समझौते की आत्मा बताते हुये उन्होंने कहा ‘‘एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिए हम इसे लागू करने के लिए निकले हैं।’’
PunjabKesariशाह ने एनआरसी को लागू करने पर देश में क्षेत्रीय एवं भाषायी आधार पर राज्यों के बीच टकराव शुरू होने की विपक्ष की आशंकाओं और आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि सदन में इस बात की भी चर्चा होनी चाहिये कि एनआरसी लाने की जरूरत क्यों पड़ी।  उन्होंने इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि 14 अगस्त 1985 को गांधी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 15 अगस्त को लाल किले से इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा ‘‘समझौते में कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर, उनको हमारे नागरिक रजिस्टर से अलग कर एक शुद्ध नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जाएगा।’’
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शाह ने कहा कि एनआरसी बनाने की यह पहल पूर्व प्रधानमंत्री के फैसले के अनुपालन में ही की गई है। उन्होंने कांग्रेस पर इसे लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधी हुई है। शाह ने एनआरसी से 40 लाख लोगों का नाम हटाये जाने के विपक्ष के आरोप पर पलटवार करते हुये कहा ‘‘ये 40 लाख लोग कौन हैं। इनमें बांग्लादेशी घुसपैठिए कितने हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं।’’

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Seema Sharma

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