राजस्थान में कोयला संकट, एक्सपर्ट बोले- बिजली आपूर्ति के लिए सरकार उठाए यह कदम
punjabkesari.in Thursday, Oct 14, 2021 - 08:59 PM (IST)
नेशनल डेस्कः राजस्थान में चल रही बिजली की किल्लत के बीच कांग्रेस-शासित राज्य पंजाब से एक अच्छी कदम की खबर आई है, जहां सरकार ने टाटा पावर से कोयले की असल कीमत चुकाकर बिजली ख़रीदने का अनुबंध कर लिया है। इसके चलते पंजाब प्रति यूनिट बिजली सिर्फ 5.5 रूपए पर खरीद पाएगा, जबकि एनर्जी एक्सचेंज में दर 10-15 रूपए प्रति यूनिट चल रही है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी बिजली की कटौती से निपटने के लिए उत्पादन कम्पनियों को कोयले का बाजार भाव दे कर आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते है। इसी तरह छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी केंद्र सरकार की कोयला कंपनी और रेलवे के आला अफसरों से सोमवार को बैठक कर उन्हें जरुरी ईंधन और उसके परिवहन के लिए सहयोग की मांग की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान सरकार को भी बिजली उत्पादक कम्पनियों के साथ मिलकर वास्तविक परिस्थिति के सन्दर्भ में कोयले की आपूर्ति के लिए पुराने बकाए का भुगतान करे और नए सप्लाई के लिए बाजार भाव चुकाए। फिलहाल राज्य में बिजली की प्रतिदिन औसत मांग करीब 12,500 मेगावाट है जबकि उप्लभ्दता मात्र 8500 मेगावाट के आसपास ही है| करीब 4,000 मेगावाट की कमी को पूरी करने के लिए बिजली वितरण कम्पनियां या तो एनर्जी एक्सचेंज पर तीन से चार गुना ज्यादा कीमत चुकती है या तो सप्लाई की कटौती करती है। इन दोनों स्थिति में नुकसान उपभोक्ताओं को ही होता है। बिजली की ज्यादा कीमत या कटौती दोनों ही व्यापर और रोजगार के लिए हानिकारक है।
होटल और पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगो को इस साल भी त्योहारों में आने वाले सैलानियों में आने वाली कमी का डर सता रहा है। इस बीच लोगों की मांग है कि राज्य में कोयले कि कमी के कारण बंद पड़ी इकाइयों को सरकार कोयला खरीदने के लिए पूरा सहकार करे। आधिकारिक सूत्रों के हिसाब से राजस्थान राज्य को प्रतिदिन 11 रेक कोयले की आवश्यकता होती है जबकि आपूर्ति बस 7.5 रेक की हो रही है। इन हालात में राजस्थान सरकार को भी अन्य राज्य सरकारों तरह कोयले का पूरा बकाया चुकाकर सारी इकाइयों का पूरा उपयोग करके सस्ती और पर्याप्त बिजली का इंतज़ाम करना चाहिए।
राजस्थान की स्थापित करीब 11000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता मे सरकार और निजी निवेशको ने करोंडो रुपये लगाए है। यह संयंत्र राष्ट्रीय संपत्ति है और उसका संपूर्ण उपयोग इस संकट की घड़ी मे होना चाहिए ताकी आम आदमी को रोजगार कमाने में तकलीफ ना हो। कोयले से चलने वाले संयंत्र दशकों तक कार्यरत रहते है और उसे कोयले कि कीमत के कारण बंद रखना नहीं चाहिए। आखिरकार बिजली ही अर्थतंत्र के विकास को ढोती है।