CJI गोगोई की वकीलों से भी कम है संपत्ति, न कार है ना बंगला

punjabkesari.in Wednesday, Oct 03, 2018 - 01:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्‍ठ जज जस्टिस रंजन गोगोई ने देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में आज शपथ ले ली है। वह इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले मुख्य न्यायधीश हैं। उनका कार्यकाल 17 नवंबर, 2019 तक रहेगा। जस्टिस गोगोई असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज लंबे कार्यकाल के बावजूद भी न्यायमूर्ति गोगोई के पास न खुद की कार है न बंगला। जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:-
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1978 में की थी वकालत की शुरुआत

  • न्यायमूर्ति गोगोई ने 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से अपनी वकालत शुरू की थी। 
  • गुवाहाटी उच्च न्यायालय में संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में वकालत की। 
  • 28 फरवरी, 2001 को उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 
  • 9 सितंबर, 2010 को उनका तबादला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हो गया।
  • 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 
  • 23 अप्रैल, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • दीपक मिश्रा ने न्यायमूर्ति गोगोई के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर की थी।
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सीजेआई गोगोई के पास नहीं है खुद की कार 

  • सीजेआई गोगोई के पास सोने की एक भी जूलरी नहीं है।
  • जस्टिस गोगोई के पास अपनी कोई व्यक्तिगत गाड़ी नहीं है। 
  • एलआईसी पॉलिसी समेत गोगोई और उनकी पत्नी के पास कुल मिलाकर 30 लाख रुपए बैंक बैलेंस हैं। 
  • जस्टिस का शेयर बाजार में भी कोई निवेश नहीं है।
  • गोगोई ने न तो कोई लोन लिया है और न ही किसी तरह की देनदारी है। 
     

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गोगोई के अहम फैसले 

  • देश की राजनीति में हचलच मचाने वाले असम एनआरसी का फैसला सुनाने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे। 
  • जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मामले में जस्टिस गोगोई ने ही एसआईटी के गठन से इनकार किया था।
  • गोगोई लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के प्रत्याशियों के लिए संपत्ति, शिक्षा और उनके खिलाफ चल रहे केसों का विवरण अनिवार्य करने वाली बेंच में भी शामिल थे।
  • जस्टिस ने ही अनुसूचित जाति के व्यक्ति को दूसरे राज्य में आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने का फैसला सुनाया था।
  • केंद्रीय सेवाओं में जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग के दायरे से बाहर करने वाली बेंच में भी जस्टिस गोगोई थे। 
  • जस्टिस रंजन गोगोई ने ही सौम्या मर्डर मामले में ब्लॉग लिखने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को कोर्ट में तलब किया था।
  • कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन को 6 महीने की सजा सुनाने वाली पीठ में भी जस्टिस गोगोई शामिल थे।
  • सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट के गठन का आदेश देने वाली पीठ में जस्टिस गोगोई शामिल थे।
     

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vasudha

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