CJI बीआर गवई ने बताया अपना रिटायरमेंट प्लान, कहा- ''कोई भी सरकारी पद नहीं लूंगा''
punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 07:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई ने शुक्रवार को एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी सरकारी पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने यह बयान महाराष्ट्र के अमरावती जिले स्थित अपने पैतृक गांव दारापुर में आयोजित एक अभिनंदन समारोह के दौरान दिया। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, "मैंने निर्णय लिया है कि सेवानिवृत्ति के बाद मैं कोई सरकारी पद स्वीकार नहीं करूंगा। रिटायरमेंट के बाद मुझे अधिक समय मिलेगा, इसलिए मैं दारापुर, अमरावती और नागपुर में अधिक समय बिताने का प्रयास करूंगा।"
CJI के पद के बाद कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए: गवई
इससे पहले भी जस्टिस गवई ने सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में जाने की अटकलों को खारिज किया था। मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि, "CJI के पद पर रहने के बाद किसी व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। अगर रिटायरमेंट के बाद कोई जज सरकारी पद स्वीकार करता है या चुनाव लड़ता है, तो इससे जनता में गलत संदेश जाता है और लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा डगमगा सकता है।"
सोशल मीडिया पर अपनी राय रखते हुए जस्टिस गवई ने कहा था कि, "मैं सोशल मीडिया को फॉलो नहीं करता, लेकिन मेरा मानना है कि जज अपने घरों में बैठकर फैसले नहीं सुना सकते। उन्हें आम आदमी की समस्याओं को समझना होगा।"
गवई कब होंगे रिटायर
जस्टिस बी. आर. गवई इस वर्ष नवंबर में सेवानिवृत्त होंगे। शुक्रवार को जब वे अपने गांव दारापुर पहुंचे तो वहां के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने अपने पिता और केरल तथा बिहार के पूर्व राज्यपाल आर. एस. गवई के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में अपने परिवार के सदस्यों के साथ भाग लिया। इस दौरान सीजेआई गवई ने दारापुर मार्ग पर बनने वाले एक भव्य द्वार की आधारशिला भी रखी, जिसका नाम उनके पिता आर. एस. गवई के नाम पर रखा जाएगा।
अमरावती में न्यायालय भवन और ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन
इसके बाद शाम को उन्होंने अमरावती जिले के दरियापुर कस्बे में एक नए न्यायालय भवन का उद्घाटन किया। साथ ही, शनिवार को वे अमरावती जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में स्वर्गीय टी. आर. गिल्डा स्मारक ई-लाइब्रेरी का भी उद्घाटन करेंगे। सीजेआई गवई का यह दौरा न सिर्फ भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि उन्होंने समाज के लिए एक आदर्श स्थापित करते हुए न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने का संदेश भी दिया।