श्रीलंका में तख्तापलट के पीछे चीन का हाथ, भारत के लिए खतरे की घंटी !
punjabkesari.in Tuesday, Oct 30, 2018 - 07:48 PM (IST)
नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): चीन समर्थक मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल गयूम की गद्दी छिनने से चीन बौखलाया हुआ है। वहां भारत के करीबी समझे जाने वाले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह 11 नवंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। हिंद महासागर में बसे महत्वपूर्ण देश मालदीव में फिर से भारत का प्रभाव बढ़ने से बौखलाए चीन ने श्रीलंका में अपनी कुटिल चाल चल दी है। श्रीलंका में हुए तख्तापलट पर सीधे-सीधे चीन के हाथ होने के आरोप लगने शुरू हो गए हैं।
श्रीलंका में सियासी घमासान
मौजूदा समय में श्रीलंका में दो प्रधानमंत्री हैं। भारत समर्थक रानिल विक्रमसिंघे और चीन समर्थक महिंदा राजपक्षे। शुक्रवार 26 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने अचानक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हटा कर संसद को 16 नवंबर तक निलंबित कर दिया। वहीं, रविवार 28 अक्टूबर को स्पीकर करू जयसूर्या ने विक्रमसिंघे को ही प्रधानमंत्री घोषित कर दिया और संसद के निलंबन पर सवाल उठाए।
राजपक्षे का प्रधानमंत्री बनाना हिंद महासागर में दो आर्थिक शक्तियों के वर्चस्व की लड़ाई में चीन की जीत के तौर पर देखा जा रहा है। राजपक्षे के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान श्रीलंका चीन के क़र्ज़ के जाल में फंसने वाला पहला देश बना था।
चीन पर साज़िश का आरोप
विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी के सांसद रंजन रामनायके ने श्रीलंका में उत्पन्न हुए संवैधानिक संकट के पीछे चीन का हाथ बताया है। उन्होंने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि चीन हर सांसद को 80 करोड़ रुपए दे रहा है, ताकि वे राजपक्षे की पार्टी को समर्थन दे।
महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन को चीन का हितैषी समझा जाता है जो हिंद महासागर में भारत के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। राजपक्षे की चीन से नज़दीकी इसी बात से पता चलती है कि उनके शपथ लेने के तुरंत बाद चीनी राजदूत ने उनसे मुलाकात की।
भारत को रहना होगा सतर्क
- महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे।
- उनके कार्यकाल के दौरान चीन ने श्रीलंका में खरबों रुपए का निवेश किया।
- राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते 2014 में श्रीलंका के समुद्र में चीनी परमाणु पनडुब्बी नज़र आई, जिसका भारत ने विरोध किया था।
- श्रीलंका ने अपने हंबनटोटा पोर्ट के दक्षिणी हिस्से को 99 साल के लिए चीन को लीज पर दे दिया है।
- मौजूदा राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन के चुनावी क्षेत्र में चीन एक विशाल किडनी हॉस्पिटल बना रहा है।
- प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे की भारतीय कंपनियों के प्रति उदारता से राष्ट्रपति सिरिसेन खुश नहीं थे।
- राष्ट्रपति सिरिसेन ने आरोप लगाया था कि भारत की एजेंसी रॉ उनकी हत्या की साज़िश रच रही है, लेकिन बाद में वे अपने आरोपों से पलट गए।
हाल के दिनों में चीनी निवेश को लेकर श्रीलंका, म्यांमार जैसे कई देशों में चीन के प्रति नाराज़गी बढ़ी है। क़र्ज़ के बोझ में दबे श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह की बड़ी हिस्सेदारी चीन को देनी पड़ी थी, जिससे उसकी सम्प्रुभता को खतरा उत्पन्न हो गया है। श्रीलंका में चीन का प्रभाव भारत के हितों को प्रभावित कर सकता है। दक्षिण एशिया में सामरिक लिहाज से श्रीलंका भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।