बच्चे बने शिक्षक...200 गांवों में बच्चों ने चलाया शिक्षा अभियान, 30 हजार से ज्यादा लोग हुए साक्षर

punjabkesari.in Monday, Sep 09, 2024 - 10:36 AM (IST)

नेशनल डेस्क. झारखंड के लातेहार जिले के लगभग 200 गांवों में अब ककहरा और पहाड़ा की आवाजें गूंज रही हैं। यहां के बच्चे अब मास्टर साहब बन गए हैं और वयस्कों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। दरअसल इन गांवों में अशिक्षा को दूर करने के लिए दो साल पहले बच्चों ने एक विशेष मुहिम शुरू की थी। बच्चे अपने माता-पिता, पड़ोसियों और बुजुर्गों को पढ़ाकर उन्हें साक्षर बना रहे हैं।

बालूमाथ, सेमर, कल्याणपुर और चीरू जैसे कई गांवों में 600 जगहों पर वयस्क शिक्षा की क्लासें लगती हैं। अब तक इस मुहिम के तहत 30 हजार से ज्यादा लोग साक्षर हो चुके हैं, जिनमें 20 हजार महिलाएं और करीब 10 हजार पुरुष शामिल हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) ने इन साक्षरों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया है। यह अभियान साल 2022 में शिक्षकों की प्रेरणा से शुरू किया गया था और अब यह अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है।

सोच: माता-पिता को अनपढ़ न कहलाने के लिए बच्चों ने उठाया कदम

लातेहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग पहले ठगी का शिकार हो चुके थे। वे सरकारी योजनाओं या बैंकों में अंगूठा लगाते थे और इस कारण उन्हें धोखा मिलता था। बच्चों ने अपने शिक्षकों से इस समस्या के बारे में बताया। 28 जनवरी 2022 को चंदवा में राजकीय उच्च विद्यालय तुरीसोत के प्राचार्य विजय कुमार ने बाल सांसदों के माध्यम से छात्रों को प्रेरित किया कि वे अपने माता-पिता और आस-पड़ोस के लोगों को पढ़ाएं।

शिक्षाविदों के अनुसार, निरक्षर लोग 120 घंटों में साक्षर बन सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर दिन में दो घंटे की क्लास हो, तो 60 दिनों में निरक्षरता का कलंक मिटाया जा सकता है।

त्रीसोत गांव की लक्ष्मीदेवी ने बताया, "एक दिन मेरे बेटे ने स्कूल से लौटते समय मुझसे पूछा कि क्या मैं पढ़ना चाहूंगी। मैंने हां कहा। उसके बाद वह स्कूल से लौटते ही मुझे पढ़ाने लगा। मेरी देखा-देखी पड़ोस की 13-14 महिलाएं भी आकर पढ़ने लगीं। धीरे-धीरे हमने अक्षर समझना और लिखना सीख लिया। अब हम किताबें भी पढ़ने लगे हैं।"

आठवीं कक्षा और उससे ऊपर के छात्र भी वयस्कों को पढ़ाने की इस मुहिम में शामिल हो सकते हैं। केंद्र सरकार ने निरक्षरता मिटाने के लिए साक्षर भारत योजना चलाई थी, लेकिन यह योजना 1 अप्रैल 2018 से बंद हो चुकी है। छात्रों की कोशिश है कि वे वयस्कों को पढ़ाने की इस मुहिम को लातेहार के सभी 745 गांवों तक पहुंचाएं।


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Content Editor

Parminder Kaur

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