शादी के 10 दिन बाद ही ड्यूटी पर वापिस लौटा जवान...अब तिरंगे में लिपटकर लौटा- मां-बाप बेसुध
punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 03:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों की कहानियाँ कभी मिटती नहीं, और बिहार के छपरा जिले के एक छोटे से गांव ने ऐसा ही एक अमर सपूत खो दिया है – छोटू शर्मा। सारण जिले के दरियापुर प्रखंड के शर्मा टोला के इस युवा ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में अपने प्राण देश के नाम कर दिए।
छोटू बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखा करते थे। यह सपना 2017 में पूरा हुआ जब वे भारतीय सेना में भर्ती हुए। कुछ ही महीने पहले, इसी साल 5 मई को उन्होंने विवाह किया और दुल्हन को पूरे रीति-रिवाजों के साथ घर लाए। घर में खुशियों का माहौल था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। विवाह के महज 10 दिन बाद ही ड्यूटी का बुलावा आया और छोटू, जिम्मेदारी को प्राथमिकता देते हुए देश की सेवा में फिर से जुट गए।
बीते शनिवार को जब श्रीनगर में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से उनके शहीद होने की खबर गांव पहुंची, तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। घर में मातम छा गया – मां-बाप बेसुध हो गए, भाई और परिवार के अन्य सदस्य चीख-पुकार करते रहे। गांव का हर चेहरा नम था, लेकिन दिलों में गर्व था कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है।
जब छोटू शर्मा का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो वह पल बेहद भावुक था। पूरा गांव एकजुट हो गया। “भारत माता की जय” और “शहीद छोटू शर्मा अमर रहें” के नारों से आसमान गूंज उठा। अंतिम यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सैनिक सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई और दिघवारा पिपरा गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
बड़े भाई राजेश कुमार की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने बताया कि छोटू उनके परिवार का सबसे छोटा और सबसे लाड़ला सदस्य था। उन्हें बच्चों की तरह पाला गया था। उनकी बातें, उनका मुस्कुराना, और उनका जज्बा – सब कुछ अब सिर्फ यादों में रह गया है।
छोटू के बचपन के दोस्त अंबुज कुमार ने भी उनके साथ बिताए पलों को याद करते हुए बताया कि छोटू बेहद मिलनसार और संवेदनशील थे। वे हमेशा से देश के लिए कुछ बड़ा करने की चाह रखते थे। हाल ही में उन्होंने दुर्गा पूजा पर घर लौटने का वादा भी किया था, लेकिन अब वे लौटे तो वीरता की मिसाल बनकर।