दिल्ली का ट्रैफिक राम भरोसे: सिर्फ इतने पुलिसकर्मी संभाल रहे 78 लाख गाड़ियां, जानें क्यों उड़ रही हैं नियमों की धज्जियां?
punjabkesari.in Monday, Sep 22, 2025 - 09:12 AM (IST)

नेशनल डेस्क। अगर आप दिल्ली की सड़कों पर सफर करते हैं तो ट्रैफिक जाम से आप अच्छी तरह वाकिफ होंगे। यह सिर्फ एक असुविधा नहीं बल्कि एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 78 लाख से ज़्यादा वाहन पंजीकृत हैं जिनमें से हर दिन लगभग 40 से 45 लाख वाहन सड़कों पर उतरते हैं। इस भीड़ को संभालने के लिए सिर्फ 4,200 ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात हैं जो कि आवश्यकता का लगभग आधा है।
ट्रैफिक पुलिस की चुनौतियां
एक ओर दिल्ली में वाहनों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है और दूसरी ओर ट्रैफिक पुलिस की संख्या बहुत कम है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार ट्रैफिक को सुचारु रूप से चलाने के लिए कम से कम आठ हजार पुलिसकर्मियों की ज़रूरत है। इस कमी के कारण ट्रैफिक नियमों का पालन करवाना मुश्किल हो रहा है। कई बार पुलिसकर्मियों का ध्यान ट्रैफिक कंट्रोल से ज़्यादा चालान काटने पर होता है जिससे स्थिति और बिगड़ती है।
मौजूदा स्टाफ के साथ ट्रैफिक को नियंत्रित करना लगभग नामुमकिन है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अब ट्रैफिक को मैन्युअल रूप से संभालना संभव नहीं है और हमें सीसीटीवी, एआई और स्मार्ट सिग्नल सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक पर निर्भर होना पड़ेगा।
ट्रैफिक से जुड़ी अन्य समस्याएं
स्वास्थ्य पर असर: घंटों तक जाम में फंसे रहने से वाहनों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण बढ़ता है जिसका सीधा असर दिल्ली के लोगों की सेहत पर पड़ता है।
समय की बर्बादी: एक सर्वे के अनुसार एक आम दिल्लीवासी रोजाना औसतन एक घंटे से ज़्यादा समय सिर्फ ट्रैफिक जाम में गंवा देता है।
सड़कों की बदहाली: ट्रैफिक विशेषज्ञ इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह बताते हैं कि टूटी सड़कें, गड्ढे और खराब रोड इंजीनियरिंग भी जाम का एक बड़ा कारण है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाने होंगे:
पुलिस बल बढ़ाना: ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में तुरंत बढ़ोतरी करना ज़रूरी है।
तकनीक का इस्तेमाल: स्मार्ट सिग्नल, सीसीटीवी और एआई का बड़े पैमाने पर उपयोग करना चाहिए ताकि मैन्युअल हस्तक्षेप कम हो।
एजेंसियों में तालमेल: दिल्ली में काम कर रही सभी एजेंसियों जैसे कि पीडब्ल्यूडी और नगर निगम के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए ताकि सड़कों की हालत सुधारी जा सके।
लोगों की जिम्मेदारी: चालान के डर से नहीं बल्कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए लोगों को खुद से ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए।
अगर इन चुनौतियों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में दिल्ली की सड़कें और भी बदहाल हो सकती हैं।