वायुसेना को मिलेंगे 83 तेजस विमान, सरकार ने 48 हजार करोड़ की डील को दी हरी झंड़ी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 13, 2021 - 05:59 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही वायु सेना को जल्द ही देश में बने 83 तेजस लड़ाकू विमान लेंगे जिस पर करीब 48 हजार करोड़ रूपये की लागत आयेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में इस खरीद को मंजूरी दी गयी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद टि्वट कर इसकी जानकारी दी।

राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक में यह फैसला किया गया । यह सौदा भारतीय रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिये गेम चेंजर होगा।' उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर तैयार किये जाने वाले एलसीए तेजस से जुड़ी इस खरीद पर लागत करीब 48000 करोड़ रुपये आयेगी । 
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आने वाले समय में वायु सेना की रीढ बनकर उभरेंगे
रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल ने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से भारतीय वायु सेना के लिये 83 तेजस विमान खरीदने को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके तहत 73 हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए और 10 तेजस एमके-1 प्रशिक्षण विमान शामिल हैं। हल्का लड़ाकू विमान एमके-1ए का डिजाइन एवं विकास स्वदेशी स्तर पर किया गया है और यह चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान से जुड़े अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है। श्री सिंह ने कहा कि जिन स्वदेशी तेजस माकर् - 1 ए विमानों की खरीद की मंजूरी दी गयी है वे आने वाले समय में वायु सेना की रीढ बनकर उभरेंगे।
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विमान नयी प्रौद्योगिकियों से लैस
​चौथी पीढी के ये लड़ाकू विमान ऐसी अनेक नयी प्रौद्योगिकियों से लैस हैं जो भारत में पहले नहीं थी। तेजस माकर् -1ए में इस्तेमाल किये गये कलपुर्जों और प्रौद्योगिकी में से 50 फीसदी स्वदेशी है जिसे जल्द ही बढाकर 60 फीसदी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि एचएएल ने नासिक और बेंगलुरू डिविजन में भी पहले ही विनिमार्ण इकाईयों की स्थापना कर ली हैं और वह वायु सेना को इन विमानों की समय पर आपूर्ति के लिए तैयार है। आज के इस निर्णय से एलसीए इकोसिस्टम का विस्तार होगा और रोजगार के नये अवसर पैदा करने में सहायक रहेगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि एलसीए तेजस कार्यक्रम भारत में एयरोस्पेस विनिर्माण इकोसिस्टम को गतिशील आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलने में उत्प्रेरक की भूमिका निभायेगा। सुरक्षा समिति ने इस कार्यक्रम के तहत वायु सेना को ढांचागत सुविधाओं का विकास करने की भी अनुमति दी है जिससे वह अपने रिपेयर बेस पर विमानों की मरम्मत और उनकी सर्विस कर सकेगी।

 

 



 


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rajesh kumar

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