माइकल हॉल्स्टन और मगरमच्छ का विवाद: क्या वायरल कंटेंट के लिए वन्यजीवों की जिंदगी से खेला जा सकता है?

punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 10:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हाल ही में एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, माइकल हॉल्स्टन (Mike Holston), जो कि "द ज़ू कीपर" के नाम से भी जाने जाते हैं, ऑस्ट्रेलिया के केप यॉर्क (Cape York) क्षेत्र में एक मगरमच्छ के साथ किए गए दुर्व्यवहार के कारण विवादों में घिर गए हैं। यह घटना लॉकहार्ट नदी (Lockhart River) के पास की है, जो ऑस्ट्रेलिया के सुदूर उत्तर क्वींसलैंड राज्य में स्थित एक जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र है।

वीडियो में देखा गया कि हॉल्स्टन ने जंगल के बीच एक मगरमच्छ को अचानक पकड़ा, उसे ज़मीन पर गिराया और उस पर चढ़ने जैसी हरकत की। यह सब उन्होंने कैमरे पर रिकॉर्ड किया और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया। वीडियो में मगरमच्छ अत्यधिक तनाव में नजर आ रहा था – उसकी साँसें तेज थीं, वह खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था और उसकी आंखों में साफ डर दिख रहा था।

यह वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, ऑस्ट्रेलिया के हजारों नागरिकों ने इसकी तीखी आलोचना की। लोगों का कहना था कि यह न केवल वन्यजीवों के साथ अमानवीय व्यवहार है, बल्कि स्थानीय कानूनों का उल्लंघन भी है। इस वीडियो को लेकर अब माइकल हॉल्स्टन के खिलाफ क्वींसलैंड का पर्यावरण और विज्ञान विभाग (Department of Environment and Science - DES) जांच कर रहा है।

ऑस्ट्रेलिया में मगरमच्छ संरक्षित जीवों की श्रेणी में आते हैं। उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़, हिंसा या उन्हें परेशान करना गैरकानूनी है। यदि हॉल्स्टन दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें कानूनी सज़ा, भारी जुर्माना या जेल भी हो सकती है।

वन्यजीव विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने भी इस हरकत की निंदा की है। उनका कहना है कि इस तरह की हरकतें केवल जानवरों के लिए नुकसानदायक नहीं होतीं, बल्कि यह समाज को भी ग़लत संदेश देती हैं।माइकल जैसे इन्फ्लुएंसर के लाखों फॉलोअर्स हैं। जब वह इस प्रकार का व्यवहार दिखाते हैं, तो यह उनके अनुयायियों को प्रेरित कर सकता है कि वे भी "वायरल" होने के लिए जानवरों के साथ छेड़छाड़ करें।

स्थानीय आदिवासी समुदायों ने भी इस घटना पर नाराज़गी जताई है। लॉकहार्ट नदी क्षेत्र की पारंपरिक आबादी के लिए मगरमच्छ न केवल एक जीव हैं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माने जाते हैं। उनके साथ ऐसा व्यवहार उन समुदायों के मूल्यों और आस्थाओं का अपमान है।

यह पूरी घटना एक अहम सवाल उठाती है- क्या सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध होने के लिए इंसान अब जीवों की पीड़ा से भी खेलने को तैयार है? क्या वायरल कंटेंट की भूख ने हमें इतना अंधा बना दिया है कि हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं?

आज की दुनिया में जहां हर कोई "व्यूज" और "लाइक्स" के पीछे भाग रहा है, वहाँ इस तरह की घटनाएं हमें आत्मचिंतन करने के लिए मजबूर करती हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि वन्यजीव भी हमारी तरह जीवित प्राणी हैं, जिनका दर्द और डर असली होता है। उनके साथ संवेदनशीलता और सम्मान के साथ व्यवहार करना हमारा नैतिक और कानूनी कर्तव्य है।

माइकल हॉल्स्टन जैसे लोगों को चाहिए कि वे अपने प्रभाव का उपयोग जागरूकता फैलाने, वन्यजीवों की रक्षा करने और शिक्षाप्रद सामग्री साझा करने में करें- ना कि हिंसा और भय का प्रदर्शन करने में।


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News Editor

Parveen Kumar

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