CAG की 14 रिपोर्ट्स में खुलासा: मोहल्ला क्लीनिक से लेकर शराब नीति तक, केजरीवाल सरकार की नाकामी
punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2025 - 10:14 AM (IST)
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नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा में आज पेश होने वाली CAG (कैग) रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के कार्यों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में दिल्ली सरकार द्वारा किए गए कई बड़े कार्यों की जांच की गई है, जिनमें मुख्यमंत्री आवास का रिनोवेशन, मोहल्ला क्लीनिक्स का संचालन, शराब नीति, और अन्य योजनाओं में कथित अनियमितताएं उजागर हुई हैं। CAG रिपोर्ट के जरिए इन सभी मुद्दों पर खुलासे किए गए हैं, जो दिल्ली सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री आवास का रिनोवेशन (Renovation of CM Residence)
रिपोर्ट में 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास के रिनोवेशन में कथित अनियमितताओं का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस रिनोवेशन पर कुल 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि इसका अनुमानित खर्च 7.91 करोड़ रुपये था, यानी कि यह राशि अनुमानित खर्च से 342% अधिक थी। इसके अलावा, इस रिनोवेशन कार्य में महंगे और लक्जरी आइटम्स का इस्तेमाल किया गया।CAG ने पाया कि PWD (Public Works Department) ने कंसल्टेंसी वर्क के लिए तीन कंसल्टेंसी फर्मों का चयन किया, लेकिन इसके लिए स्पष्ट कारण नहीं दिए गए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जिन पांच ठेकेदारों को सीएम आवास का मरम्मत कार्य सौंपा गया, उनमें से केवल एक ठेकेदार के पास VIP बंगला बनाने का अनुभव था। इससे यह सवाल उठता है कि अन्य ठेकेदारों का चयन कैसे किया गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मुख्यमंत्री आवास के दायरे को 36% बढ़ाया गया और इस अतिरिक्त काम के लिए चार बार बजट को संशोधित किया गया। इसके अलावा, स्टाफ ब्लॉक और कैम्प ऑफिस के निर्माण के लिए जो धनराशि स्वीकृत की गई थी, उसका उपयोग अन्य कार्यों के लिए किया गया।
शराब नीति घोटाला (Liquor Policy Scam)
कैग रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शराब नीति में खामियों के कारण दिल्ली सरकार को ₹2,026 करोड़ का नुकसान हुआ। शराब नीति बनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह ली गई थी, लेकिन उन सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके अलावा, शराब नीति में नियमों का पालन ठीक से नहीं किया गया और कई कंपनियों को लाइसेंस दिया गया, जिनकी पहले शिकायतें थीं या वे घाटे में चल रही थीं। कैग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने कोविड-19 के नाम पर ₹144 करोड़ की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। इसके अलावा, जब सरकार ने कुछ लाइसेंस वापस लिए तो उन्हें फिर से टेंडर प्रक्रिया के तहत आवंटित नहीं किया, जिससे ₹890 करोड़ का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज़ोनल लाइसेंस धारकों को छूट देने के कारण ₹941 करोड़ का नुकसान हुआ और सिक्योरिटी डिपॉजिट राशि ठीक से ना वसूलने के कारण ₹27 करोड़ का नुकसान हुआ।
मोहल्ला क्लीनिक (Mohalla Clinics)
CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिकों के संचालन पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2023 के दौरान दिल्ली सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (मोहल्ला क्लीनिक्स) के लिए ₹35.16 करोड़ का बजट आवंटित किया, लेकिन इसमें से केवल ₹9.78 करोड़ (28 प्रतिशत) ही खर्च किए गए। दिल्ली सरकार का लक्ष्य 1000 मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करना था, लेकिन 31 मार्च 2023 तक केवल 523 क्लीनिक ही स्थापित किए गए, जिनमें से 31 इवनिंग शिफ्ट वाले थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चार जिलों में स्थित 218 मोहल्ला क्लीनिक में से 41 क्लीनिक डॉक्टरों की कमी और स्टाफ की छुट्टियों के कारण महीने में 15 से 23 दिन तक बंद रहते थे। इसके अलावा, रिपोर्ट में पाया गया कि इन क्लीनिकों में बुनियादी चिकित्सा उपकरणों और आवश्यक दवाइयों की कमी थी।
अन्य सरकारी योजनाएं और छात्र योजनाएं
CAG रिपोर्ट में छात्रों से संबंधित योजनाओं में भी कई अनियमितताएं सामने आईं। रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि बिना जरूरी दस्तावेजों की जांच किए 36.77 करोड़ रुपये का जीएसटी रिफंड जारी किया गया। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश सिविल सेवा (UTCS) में तैनात कर्मचारियों को 1.68 करोड़ रुपये का प्रशिक्षण भत्ता गलत तरीके से दिया गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 21,500 से अधिक आवेदकों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिला, जबकि 239 मामलों को बिना कारण बताए खारिज कर दिया गया। इसके अलावा, कई छात्रों ने एक ही बैंक खाते और आधार नंबर का हवाला देकर शिक्षा संबंधी लाभ प्राप्त किया, जिससे 42.64 करोड़ रुपये की वर्दी सब्सिडी गलत तरीके से दी गई। CAG की इस रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के कई कार्यों की कार्यप्रणाली और वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है। विपक्ष ने इसे आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के खिलाफ बड़ा आरोप बताते हुए इसे भ्रष्टाचार और असफल नीतियों का परिणाम करार दिया है। अब यह देखना होगा कि दिल्ली सरकार इस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाती है और इस पर क्या जवाब देती है।