अलग-अलग कंपनियों में छंटनी शुरु, अब इस सेक्टर पर गिरेजी गाज, 10 लाख होंगे बेरोजगार?
punjabkesari.in Tuesday, Jun 10, 2025 - 11:28 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में जब से टेक सेक्टर और मीडिया हाउस में छंटनियों का दौर शुरू हुआ है, तब से बेरोजगारी का खतरा अलग-अलग इंडस्ट्री पर मंडराने लगा है। अब इस लिस्ट में एक और बड़ा नाम जुड़ गया है — केबल सेक्टर। ओटीटी और इंटरनेट की तेज़ रफ्तार ने जिस इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, वो है केबल नेटवर्क। हालत ये हो चुकी है कि बीते कुछ सालों में इस सेक्टर से जुड़े करीब 5 लाख लोग पहले ही बेरोजगार हो चुके हैं और अगर वक्त रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में ये आंकड़ा 10 लाख के पार पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट में हम आपको दिखाएंगे कैसे ओटीटी, इंटरनेट और पायरेसी ने मिलकर केबल इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है, और क्यों अब इस सेक्टर में काम करने वालों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
आज जब लोगों के पास Netflix, Amazon Prime, JioCinema, Disney+ Hotstar जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की भरमार है, तब पारंपरिक केबल टीवी को देखने वाले दर्शकों की संख्या तेजी से घट रही है। अब लोगों को तय समय पर टीवी देखने की जरूरत नहीं, जब मन हो तब मोबाइल या स्मार्ट टीवी पर मनपसंद कंटेंट देखने की सुविधा है। यही सुविधा केबल सेक्टर की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है।
रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसे 28 हजार से ज्यादा केबल ऑपरेटरों से बातचीत के बाद तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे तो 2030 तक देश में केबल सब्सक्राइबर्स की संख्या घटकर सिर्फ 71 से 81 मिलियन के बीच रह जाएगी। जबकि साल 2024 में ये संख्या 111 मिलियन के आसपास थी। यानि करीब 30 से 40 मिलियन दर्शकों का नुकसान आने वाले 6 साल में होने की आशंका है।
पायरेसी बना एक और बड़ी समस्या
OTT से टक्कर के साथ ही पायरेसी यानी चोरी से कंटेंट देखने की आदत भी केबल सेक्टर की कमर तोड़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वजह से अब तक करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान केबल इंडस्ट्री को हो चुका है। लोग गैरकानूनी ऐप्स या वेबसाइट्स के जरिए मुफ्त में चैनल्स या मूवीज़ देख रहे हैं, जिससे केबल ऑपरेटरों की कमाई लगातार घटती जा रही है।
इंटरनेट का विस्फोट और उसका असर
देश में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या अब 1 बिलियन (100 करोड़) से ज्यादा हो चुकी है। इनमें से 945 मिलियन ब्रॉडबैंड यूजर्स हैं, जो इंटरनेट के जरिए एंटरटेनमेंट हासिल कर रहे हैं। ऐसे में केबल की उपयोगिता तेजी से कम होती जा रही है। लोग अब टीवी की बजाय मोबाइल और लैपटॉप को ही अपना मनोरंजन का जरिया बना चुके हैं। इससे न सिर्फ केबल ऑपरेटर बेरोजगार हो रहे हैं, बल्कि इससे जुड़े तकनीकी स्टाफ, मेंटेनेंस टीम और लोकल वितरकों की आजीविका भी संकट में पड़ चुकी है।
10 लाख लोगों पर बेरोजगारी का खतरा
वर्तमान में करीब 5 लाख से ज्यादा लोग पहले ही इस सेक्टर से बाहर हो चुके हैं। यदि यही ट्रेंड जारी रहा तो 2026 तक ये आंकड़ा 10 लाख के पार जा सकता है। इससे न सिर्फ सामाजिक असंतुलन बढ़ेगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।
सरकार को चाहिए ठोस कदम
कंज्यूमर अफेयर्स के एडिशनल सेक्रेटरी संजीव शंकर के मुताबिक, केबल सेक्टर के लिए पेश की गई रिपोर्ट बेहद जरूरी है क्योंकि इसमें विस्तार से बताया गया है कि इस क्षेत्र को कैसे दोबारा खड़ा किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सिर्फ सुझाव नहीं, नीतिगत बदलाव और आर्थिक सहायता की जरूरत है। सरकार चाहे तो इस सेक्टर को डिजिटली इंटीग्रेट कर कुछ राहत दे सकती है। मसलन, केबल ऑपरेटरों को ओटीटी के साथ जोड़ने के लिए प्रशिक्षण, उपकरण और सब्सिडी दी जा सकती है।