ब्रिटेन ने कश्मीर के हालात पर जताई चिंता, कहा- जल्द समाधान निकालें भारत-पाक

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 12:52 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: ब्रिटेन में रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने कहा कि कश्मीर में तनाव कम करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तरी आयरलैंड शांति प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले ‘गुड फ्राइडे समझौते' की ही तरह भारत एवं पाकिस्तान के बीच वार्ता किसी समाधान पर पहुंचने में मदद कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के पूर्व प्रतिनिधि और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्रियों डेविड कैमरून एवं टेरीजा मे के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर रह चुके सर मार्क लियाल ग्रांट ने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच 2001 में वार्ता के दौरान समाधान तलाशने का ‘‘मौका गंवा'' दिए जाने पर खेद जताया। 

 

मार्क ने कहा कि ‘उत्तरी आयरलैंड गुड फ्राइडे समझौते' की ही तरह एक शांतिपूर्ण समाधान तलाशा जाना चाहिए जिसके तहत स्थानीय लोगों को कश्मीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से जाने की आजादी हो। रणनीतिक सलाहकार समूह ‘सीटीडी एड्वाइजर्स' द्वारा ‘कश्मीर संकट का ब्रिटेन को नुकसान: क्या समाधान है?'' शीर्षक के तहत वीरवार को आयोजित एक पैनल चर्चा में भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा हटाने के भारत के फैसले की पृष्ठभूमि में चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा कि कोई भी क्षेत्र में और तनाव बढ़ते नहीं देखना चाहता। हम अधिक बड़े संकट के कगार पर हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दमकल की तरह काम करना बंद करना चाहिए तथा शांतिपूर्ण समाधान तलाशने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।

 

विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने को तैयार है लेकिन वार्ता के अवरोधक के रूप में आईएसआई समर्थित सीमा पार आतंकवाद का बार-बार जिक्र किया गया। ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री जैक स्ट्रॉ ने कहा कि (अनुच्छेद 370 निरस्त करके) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो किया है, वह बहुत बड़ा और निरर्थक कदम है जिसके पीछे कोई रणनीति नजर नहीं आती लेकिन आईएसआई की भूमिका और आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की स्थिति कम मजबूत है।जानी मानी भारतीय पत्रकार निधि राजदान ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान 1948 में कश्मीर को हथियाने में नाकामयाब रहा और उसके बाद से वह क्षेत्र में कई वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है तथा सीमा पार आतंकवाद के कारण क्षेत्र में बहुत खून बहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जमीन पर आतंकवादियों को बढ़ावा दिया जाता रहा है और यह बात उसके प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस साल जुलाई में अमेरिका की अपनी यात्रा में स्वयं स्वीकार की थी कि पाकिस्तान में 40 विभिन्न आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं। 

 

पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी समूहों को लेकर भारत में गंभीर चिंताएं हैं। राजदान ने अगस्त में अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद से क्षेत्र (कश्मीर में) संचार पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना की और उम्मीद जताई कि भारत लोकतंत्र के रूप में अपने मूल्यों पर खरा उतरेगा। उन्होंने कहा, कि भारत सरकार का कहना है कि लोगों की भलाई और क्षेत्र के विकास के लिए विशेष दर्जा समाप्त किया गया। विडम्बना यह है कि जिन लोगों के नाम पर यह किया गया, उनसे विचार विमर्श भी नहीं किया गया और दशकों में भारतीय झंडा बुलंद करने वाले नेताओं को हिरासत में रखा गया।
 


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vasudha

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