बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश: दांतों से लगी चोट मामूली, खतरनाक हथियार से चोट का मामला नहीं बनता
punjabkesari.in Thursday, Apr 10, 2025 - 06:01 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि मानव दांतों को खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता है। यह मामला एक महिला द्वारा अपनी भाभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से जुड़ा था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसकी भाभी ने उसे दांत से काट लिया था, जिसके कारण उसे गंभीर चोटें आईं। कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि दांतों से लगी चोट गंभीर नहीं थी और इस कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के तहत खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने का मामला नहीं बनता है।
मामले की शुरुआत
यह मामला अप्रैल 2020 का है, जब महिला ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उसकी शिकायत के अनुसार, उसके और उसकी भाभी के बीच झगड़ा हुआ था, जिसमें भाभी ने उसे दांत से काट लिया था। महिला का आरोप था कि दांत से काटने के कारण उसे गंभीर चोटें आईं, जो खतरनाक हथियार के इस्तेमाल के कारण हुई थीं।
कोर्ट का निर्णय
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ के जज विभा कंकनवाड़ी और संजय देशमुख ने 4 अप्रैल को मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के मेडिकल सर्टिफिकेट से यह स्पष्ट है कि दांतों के निशान से केवल मामूली चोटें आई हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि मानव दांतों को खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता है, क्योंकि इससे कोई गंभीर नुकसान नहीं हो सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के तहत खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने का मामला तब बनता है, जब चोट किसी ऐसे हथियार से लगी हो जिससे गंभीर नुकसान हो या फिर मौत की संभावना हो। इस मामले में, दांतों से चोट लगना सिर्फ मामूली चोट के रूप में सामने आया है, और यह खतरनाक हथियार की श्रेणी में नहीं आता है।
एफआईआर रद्द करने का आदेश
कोर्ट ने आरोपी की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और मामले की स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि यह घटना धारा 324 के तहत अपराध में नहीं आती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना आधार के मुकदमा चलाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
सम्पत्ति विवाद का प्रभाव
कोर्ट ने इस मामले में यह भी माना कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच एक संपत्ति से जुड़ा विवाद चल रहा था, जो इस तरह की शिकायत के पीछे की असल वजह हो सकता है। कोर्ट ने इस पर भी गौर करते हुए एफआईआर को रद्द किया और आरोपी को राहत दी। बॉम्बे हाई कोर्ट का यह निर्णय इस बात को स्पष्ट करता है कि दांतों से लगी चोट को खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने के रूप में नहीं लिया जा सकता। यह एक महत्वपूर्ण फैसला है, जो इस मामले में कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक कदम है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि व्यक्तिगत विवादों को बिना ठोस आधार के अदालत में ले जाने से बचना चाहिए।