जनता दो सालों का रिपोर्ट कार्ड देखना चाहती है

punjabkesari.in Monday, Apr 18, 2016 - 11:41 PM (IST)

मंत्रियों अथवा राजनेताओं द्वारा अपने भाषण में इस्तेमाल किए गए शब्दों का आम जनता उनका स्पष्ट और सरल अर्थ चाहती है। दरअसल, आज मत्स्य दिवस है। इस मौके पर कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने फिर कहा है मछलियों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए सरकार देश में नीली क्रांति की शुरुआत करेगी। दूसरी ओर मुंबई में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बंदरगाह और नौवहन के मोर्चे पर भारत की विशाल क्षमता के मद्देनजर सरकार ‘नीली क्रांति’ को तेजी से आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध है। इससे दो करोड़ रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकेगा। उनका कहना है​ कि भारत नीली क्रांति के करीब है। 

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि बिहार में अप्रैल 2015 को भी केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह नें कहा था कि आज देश में नीली क्रांति की जरूरत है। मत्स्य उत्पादन को बढ़ाकर किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करना हमारा मकसद है। राधामोहन सिंह के अनुसार कृषि के उत्पादों की मांग देश विदेश में बढ़ाने के भी प्रयास किए जाएंगे। मांग के मुकाबले आपूर्ति कम है इसलिए इस चुनौती से हमें निपटना होगा। वर्तमन समय में देश में मांग बढ़ी है और उत्पादन कम हो रहा है। वही बताएं कि इसके क्या कारण हैं। फिर कहा जाता है कि कृषि में नई तकनीक को लेकर जागरुकता लानी होगी। किसानों में जिस नई तकनीक को लेकर भरोसा पैदा करने बात वे कर रहे है बताएं कि  वह तकनीक आएगी कहां से? 

गउकरी का नीली क्रांति से तात्पर्य देश के समुद्री क्षेत्र और नदियों का आजादी के बाद से दोहन करने से जुड़ा है। वे कहते हैं कि जहाजरानी, बंदरगाह, विनिर्माण क्षेत्रों में एक करोड़ से अधिक और रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। सुंदर स्वपन दिखाते हुए सरकार ने अपने इरादे बताए तो अच्छा लगता है,लेकिन दो साल में एनडीए सरकार ने नीली क्रांति के लिए क्या किया इसका उत्तर मंत्री महोदय को देना होगा। वे बताएं कि यह अवसर पहले क्यों नहीं आया? इसके बारे में वह स्पष्ट करें कि यह सब कैसे हो सकता है। दो करोड़ को रोजगार के अवसर मिलना छोटी बात नहीं,लेकिन इसके तमाम पहलुओं को स्पष्ट करना बहुत जरूरी है,ताकि लोगों के सामने सही तस्वीर सामने आ जाए। सरकार को 2.2 लाख लोगों की भर्ती का काम अगले दो सालों में  करना है। हालांकि केंद्रीय स्टाफ की संख्या 2015 में 33.05 थी और यह 2016 में 34.93 लाख हो गई है। अर्थात इसमें 1.88 लाख  की बढ़ोतरी हुई। अब सरकार का लक्ष्य मार्च 2017 तक 35.23 करना है,लेकिन यह बढ़ा नहीं है। 

प्रधानमंत्री ने मुख्य तौर पर जिस नीली क्रांति पर जोर दिया है वह असल में हरित क्रांति जैसी एक मुहिम होगी। इसके तहत देश के कृष‍ि उत्पादों का निर्यात समुद्र के रास्ते से किया जाएगा। समुद्र के रास्ते यानि पानी के जहाजों पर रखकर कृष‍ि उत्पादों, अनाज, आदि की सप्लाई दूसरे देशों में की जाएगी। इससे होने वाली आय से सीधे किसानों को फायदा पहुंचेगा और उनकी आर्थ‍िक स्थि‍ति में सुधार होगा। उनका मानना है कि इससे कृष‍ि में व्यापार और उत्पादन बढ़ेगा आैर देश तरक्की के रास्ते पर तेजी से चलेगा। जल संरक्षण कर सिंचाई से देश में खेती-किसानी को मजबूत स्थिति में लाना होगा। ब्लू क्रांति के तहत ही देश के बड़े जलाशायों का उपयोग कृष‍ि में करना होगा। कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सरकार का विशेष ध्यान है। खेती करने वाले किसानों को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार प्रयास करेगी।

बेहतर यही होगा कि मंत्री जब भी कियी नई योजना की घोषणा करें वे पुरानी योजनाओं पर मिली सफलता का रिकार्ड भी जनता के सामने रखें। इससे पता चल पाएगा कि सरकार जिस गति आगे बढ़ रही है उसके क्या परिणाम निकले हैं? अब सरकार कह रही है कि शीघ्र नीली क्रांति के युग में सूत्रपात करने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत भी करेगी। घोषणाओं पर जब तक ठोस काम नहीं किया जाएगा तब तक राहत किसी को नहीं​ मिलेगी। न सरकार को, न जनता को। सरकार के पास काम करने के ​तीन साल बचे है। अब केवल योजनाओं की घोषणाओं से काम नहीं चलने वाला। जनता उपलब्धियां देखना चाहती है। उसे अपने सवालों के जवाब चाहिए।


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