देशभक्ति की अनोखी तस्वीर: दृष्टिहीन छात्रों ने रामदर्शन पब्लिक स्कूल में दिखाया साहस
punjabkesari.in Sunday, Jan 26, 2025 - 02:24 PM (IST)
नेशनल डेस्क: अगर हौसले बुलंद हों, तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं।” गणतंत्र दिवस 2025 का यह विशेष अवसर इन शब्दों को सच साबित करता है, जब चार दृष्टिहीन छात्रों ने तिरंगा फहराकर साहस, आत्मबल और देशभक्ति की अद्वितीय मिसाल पेश की। यह क्षण साबित करता है कि सीमाएं केवल सोच में होती हैं और सच्ची ताकत दिल और दिमाग की होती है।
पिथौरा के जंघोरा में स्थित रामदर्शन पब्लिक स्कूल में गणतंत्र दिवस का अवसर कुछ खास बन गया, जब चार दृष्टिहीन छात्रों ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और साहस के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह दृश्य हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया, यह साबित करते हुए कि सीमाएं केवल सोच में होती हैं, हौसले में नहीं।
इस ऐतिहासिक मौके पर चार विशेष छात्र शामिल थे, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में अद्वितीय प्रतिभा दिखाई है। गरिमा ठाकुर, जो एक उत्कृष्ट ब्रेल पाठक हैं, ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति से सभी को गर्वित किया। उनके साथ कुसुम प्रधान थीं, जो एक कुशल ब्रेल लेखक और गायिका हैं। उन्होंने “वंदे मातरम्” का ऐसा भावपूर्ण गायन किया कि उपस्थित सभी लोग अभिभूत हो गए। महारथी राणा, एक निपुण तबला वादक, ने अपनी मधुर ताल से पूरे माहौल को जीवंत बना दिया। वहीं, कुश अजय, जो अपनी प्रभावशाली संवाद कला के लिए जाने जाते हैं, ने अपने प्रेरणादायक शब्दों से सभी का दिल जीत लिया।
इन छात्रों का मार्गदर्शन और समर्थन उनके शिक्षकों, पुष्पलता पटेल (वाइस प्रिंसिपल और विशेष शिक्षिका) और दिव्यलोचन साहू (वालंटियर), ने किया। पुष्पलता ने इस अवसर पर कहा, “यह सिर्फ ध्वज फहराने का क्षण नहीं है, बल्कि एक मजबूत संदेश है कि कठिनाइयों से लड़कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। ये छात्र हम सभी के लिए प्रेरणा हैं।” गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत ध्वजारोहण और राष्ट्रगान से हुई। इसके बाद छात्रों ने अपनी प्रस्तुतियों से माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। खासतौर पर कुसुम प्रधान का गायन और महारथी राणा का तबला वादन सबसे अधिक सराहा गया।
कार्यक्रम में उपस्थित स्कूल के प्रधानाचार्य ने छात्रों की तारीफ करते हुए कहा, “आज का दिन हमारे लिए गर्व का दिन है। इन छात्रों ने यह साबित किया है कि कड़ी मेहनत, साहस और सही दिशा के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। हमें इन पर गर्व है।”
कार्यक्रम का समापन दोनों स्कूलों के छात्रों के बीच आपसी संवाद और तालियों के साथ हुआ। यह गणतंत्र दिवस समारोह केवल एक ध्वजारोहण कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह मानवता, साहस और समानता का उत्सव था। इसने हमें सिखाया कि जीवन में कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती, जिसे हौसले और मेहनत से पार न किया जा सके।