ओडिशा में पटनायक की सत्ता को चुनौती नहीं देगी भाजपा, सिर्फ चुनाव में चाहती है 1 दर्जन से ज्यादा सीटों पर हिस्सेदारी

punjabkesari.in Saturday, Mar 09, 2024 - 09:58 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भाजपा का लोकसभा चुनाव में 400 पार का टारगेट पूरा करने का गेम प्लान सामने आने लगा है। जानकारों के मुताबिक इसी गेम प्लान के तहत भाजपा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सत्ता को चुनौती नहीं देगी, इसके एवज में 21 संसदीय सीटों में से भाजपा को एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर हिस्सेदारी चाहिए, जबकि भाजपा इस सौदे के बदले पटनायक को 147 विधानसभा सीटों में 100 से ज्यादा सीटें देने को तैयार है। यानी तस्वीर साफ है कि समझौते के मुताबिक पटनायक सरकार को भविष्य में भाजपा से कोई खतरा नहीं होगा। भाजपा और बीजद के सूत्रों ने कहा कि लोकसभा सीट-बंटवारे समझौते को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है, जिसकी घोषणा 12 मार्च को होने की संभावना है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य का दौरा करेंगे।      

PunjabKesari

नुकसान हुआ तो ऐसे होगी भरपाई
भाजपा संपूर्ण भारत में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने साथ हर एक उस ईंट को जोड़ती जा रही है, जो उसके सपनों के महल को साकार करने में मददगार हो सकती है। इसी कड़ी में भाजपा ने ओडिशा में अपने पुराने सहयोगी बीजू जनता दल (बीजद) को दोबारा एन.डी.ए. के कुनबे में शामिल करने की ठान ली है। सूत्रों की मानें तो भाजपा लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती है। यदि उत्तर भारत के राज्यों में उसे कहीं इका-दुका सीटों पर नुकसान भी उठाना पड़े तो वह इसकी भरपाई दक्षिण भारत से भी पूरा करने की रणनीति के तहत काम कर रही है।

भाजपा को देश में कहीं भी अगर सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा तो उसने अपने लिए इतने विकल्प खोल लिए हैं कि विपक्ष को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। बिहार में नीतिश कुमार की सत्ता को कायम रखना इसका बड़ा उदाहरण है। ओडिशा में भी भाजपा ऐसी ही रणनीति के तहत काम कर रही है। यही वजह है कि करीब 25 साल से सत्ता में काबिज बीजद सरकार के साथ अब भाजपा 15 साल के बाद फिर से गठबंधन को तैयार है।

PunjabKesari

21 में से 15 सीटों चाहती है भाजपा
सूत्रों के अनुसार अब दोनों दलों ने समझौते का फार्मूला बनाया है, इसके तहत भाजपा ओडिशा में कुल 21 में से 15 और बीजद  6 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। विधानसभा में कुल 147 सीटें हैं, जिनमें 110 से ज्यादा सीटों पर बीजद चुनाव लड़ेगी और भाजपा सिर्फ बाकी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 23 विधायक हैं। इस फॉर्मूले से अगर जीत मिली तो राज्यसभा में भी दोनों दलों को फायदा हो सकता है। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजू जनता दल ने एन.डी.ए. से नाता तोड़ लिया था। इसके बाद भाजपा ओडिशा विपक्ष की भूमिका निभाती आई है। 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने दम पर ओडिशा की कुल 21 में से 8 सीटें जीती थीं। बीजद को 12 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। यहां उल्लेखनीय यह है कि चुनाव में भाजपा और बीजद के वोट शेयर में 4 फीसदी का अंतर था।

केंद्र से पटनायक के रिश्ते बेहतर
2014 में नरेंद्र मोदी के उत्थान के बाद भाजपा ने ओडिशा में आक्रमक रणनीति बनाई थी और कांग्रेस को पीछे धकेलते हुए खुद विपक्ष की भूमिका संभाल ली थी। इस चुनावी जंग के बीच नवीन पटनायक ने राजनेता की तरह केंद्र से रिश्ते बनाए रखे। उन्होंने नरेंद्र मोदी को संसद में नोटबंदी, कश्मीर से 370 हटाने के विधेयक, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, जीएसटी बिल और दिल्ली अधिनियम बिल पर समर्थन दिया था। सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर जब विपक्षी पार्टियां नरेंद्र मोदी से सबूत मांग रही थी, तब बीजद ने खुले तौर पर सरकार को समर्थन दिया।

PunjabKesari

इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों का साथ  
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खुद के लिए 370 सीट और 50 प्रतिशत वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। जिसे पूरा करने के लिए वह देश की अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वोटों का विभाजन न हो इसलिए क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लेकर चलने की रणनीति तैयार की है।  बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, असम और आंध्र प्रदेश में भाजपा ने नए क्षत्रपों को भी अपने साथ ले लिया है। पंजाब में भी शिरोमणि अकाली दल को एक बार फिर से भाजपा अपने साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Recommended News

Related News