सिरकटा शव मिलने के मामले में भाजपा नेता को आरोपी घोषित किया गया: असम पुलिस

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2024 - 07:43 AM (IST)

नेशनल डेस्क : असम पुलिस ने बुधवार को कहा कि ठेकेदार और स्थानीय भाजपा नेता सुनील गोगोई को एक राजमिस्त्री की हत्या के मामले में फरार आरोपी घोषित किया गया है। इससे पहले राजमिस्त्री के सिरकटे शव को गोगोई का शव मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था। पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह ने कहा कि बिना सिर और जले हुए शव की डीएनए रिपोर्ट से पता चला कि यह गोगोई का नहीं है, जैसा उनके परिवार ने दावा किया था। उन्होंने कहा कि शव असम के लखीमपुर जिले के सपतिया चेतिया गांव में गोगोई के घर पर काम करने वाले राजमिस्त्री जहांगीर हुसैन का था।

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सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "यह वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुका है कि शव का डीएनए जहांगीर हुसैन के परिवार के सदस्यों के डीएनएए से मेल खाता है, इसका मतलब है कि हुसैन की हत्या करके पहचान छुपाने के लिए शव जला दिया गया।" सिंह ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बीमा दावे के माध्यम से वित्तीय लाभ हासिल करने के लिए संदिग्धों ने पूरी योजना बनाई और उसे अंजाम दिया।

डीजीपी ने कहा, “सीडीएफडी हैदराबाद से डीएनए रिपोर्ट प्राप्त होने पर, एक नया मामला दर्ज किया गया है, जिसमें सुनील गोगोई और उसके सहयोगियों को मुख्य संदिग्ध के रूप में नामजद किया गया है।” 1 जून को गोगोई के घर के पास एक खुले मैदान में सिर कटा और आधा जला हुआ शव मिला, जिसके बाद जांच शुरू हुई। एक अधिकारी ने बताया कि गोगोई की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों से बुधवार को ढकुआखाना थाने में पूछताछ की गई। मंगलवार को लखीमपुर की पुलिस अधीक्षक अपर्णा एन ने कहा था कि गोगोई ने हाल ही में 41 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी खरीदी थी।

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भाजपा किसान मोर्चा ढकुआखाना जिला समिति के उपाध्यक्ष और जल जीवन मिशन से जुड़े ठेकेदार गोगोई ने लखीमपुर के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री के सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी प्रकोष्ठ ने एक कार्यकारी अभियंता को गिरफ्तार कर लिया था। इस सप्ताह की शुरुआत में, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने संकेत दिया था कि शव गोगोई का नहीं हो सकता और फोरेंसिक जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी।

जांच के दौरान पता चला कि हुसैन 30 मई से लापता था। एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और हत्या की जांच के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों को बुलाया गया। इसके अतिरिक्त, असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूरी जांच की निगरानी की।

 


 


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Content Editor

Utsav Singh

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