बायोमेडिकल कचरा और वायु प्रदूषण: NGT का नोटिस

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2019 - 12:46 AM (IST)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने बायोमेडिकल कचरा और उसकी वजह से होने वाले वायु प्रदूषण के संदर्भ में डाक से भेजे गए आवेदन पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के जिला अधिकारी, उत्तर प्रदेश वायु नियंत्रण बोर्ड (यूपीएसआईडीसी) और केन्द्रीय वायु नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को एक माह के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। 

गाजियाबाद के मेसर्स मेडिकेयर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत को याचिका मानते हुए न्यायाधीश आर्दश कुमार गोयल की अध्यक्षता में सुनवाई हुई। एनजीटी ने मसले को गंभीरता से लेते हुए गाजियाबाद के जिलाधिकारी, यूपीएसआईडीसी और सीपीसीबी को कानून के तहत कारर्वाई करने का आदेश दिया है। उसने ई-मेल से तीनों को आदेश की प्रति प्रेषित करने का निर्देश दिया और उनसे एक माह के अंदर ई-मेल पर ही कारर्वाई रिपोर्ट मांगी है। 

उल्लेखनीय है कि एनजीटी का आदेश न्यायिक निर्णय की तरह है जिसका पालन नहीं करने पर एनजीटी कानून-2010 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और सजा दी जा सकती है। एक शहर में कई निजी और सरकारी अस्पताल होते हैं, जिनसे प्रतिदिन सैकड़ों टन चिकित्सकीय कचरा निकलता है। बायोमेडिकल कचरा स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। इससे न केवल और बीमारियां फैलती हैं बल्कि जल, थल और वायु सभी दूषित होते हैं। केन्द्र सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार यह मौत का सामान है। ऐसे कचरे से इनफेक्सन, एचआईवी, महामारी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां होने का भी डर बना रहता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

shukdev

Recommended News

Related News