Canada Citizenship में बड़ा बदलाव: अब जन्में बच्चे को तभी मिलेगी नागरिकता जब माता-पिता...

punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 03:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कनाडा सरकार अपने नागरिकता कानून में ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी कर रही है। संसद में हाल ही में पेश किए गए Bill C-3 नामक विधेयक के ज़रिए कनाडा की मौजूदा वंशानुगत नागरिकता व्यवस्था को सख्त और पारदर्शी बनाने की कोशिश की जा रही है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो विदेशों में जन्मे बच्चों को कनाडाई नागरिकता पाने के लिए केवल माता-पिता का कनाडाई होना काफी नहीं होगा। अब आवश्यक होगा कि माता-पिता ने खुद कनाडा में एक निर्धारित अवधि तक निवास किया हो।

क्या है Bill C-3?
यह नया प्रस्तावित कानून मौजूदा नागरिकता नीति में एक मूलभूत बदलाव लाने की दिशा में है। वर्तमान में 2009 से लागू नियमों के अनुसार, वंश आधारित नागरिकता केवल पहली पीढ़ी तक सीमित है — यानी अगर एक कनाडाई नागरिक विदेश में बच्चे को जन्म देता है या गोद लेता है, तो उस बच्चे को नागरिकता दी जा सकती है। मगर अब प्रस्तावित बदलाव के तहत, केवल 'कनाडाई नागरिक' होना ही पर्याप्त नहीं होगा।

नए प्रावधानों के अनुसार:
यदि कोई कनाडाई नागरिक अपने बच्चे को कनाडा के बाहर जन्म देता है या गोद लेता है, तो बच्चे को तभी नागरिकता मिल सकेगी, जब माता-पिता में से कम से कम एक ने कनाडा में न्यूनतम तीन साल (1095 दिन) निवास किया हो।

यह बदलाव कनाडाई नागरिकता को जन्मस्थान से अधिक व्यक्तिगत और राष्ट्रीय जुड़ाव पर आधारित बनाने का प्रयास है।

किस पर पड़ेगा असर?
यह नया कानून विशेष रूप से उन कनाडाई नागरिकों को प्रभावित करेगा, जो विदेशों में रह रहे हैं — खासकर भारतीय मूल के वे लोग जो कनाडा की नागरिकता ले चुके हैं, लेकिन विदेशों में कार्यरत या बसे हुए हैं। अब अगर वे अपने बच्चों को कनाडा की नागरिकता दिलवाना चाहते हैं, तो उन्हें पहले स्वयं कनाडा में कम से कम तीन साल की फिजिकल प्रेजेंस दिखानी होगी।

सरकार का क्या कहना है?
कनाडा का इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप विभाग (IRCC) इस बदलाव को एक सुधारात्मक कदम मानता है। विभाग का कहना है कि मौजूदा नियम वैश्विक जीवनशैली और प्रवासी परिवारों की जमीनी हकीकत को सही से प्रतिबिंबित नहीं करते। Bill C-3 को “नागरिकता में निष्पक्षता और पारदर्शिता” लाने वाला कानून बताया जा रहा है।

विधेयक अभी संसद की समीक्षा प्रक्रिया में है और इसे कानून बनने के लिए दोनों सदनों की मंजूरी के बाद शाही स्वीकृति (Royal Assent) लेनी होगी। मंजूरी के बाद इसे जल्दी ही लागू किया जाएगा।


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Content Writer

Anu Malhotra

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