सावधान! ऑनलाइन गेम्स का खतरनाक जाल, कैसे बच्चों को बना रहा साइबर अपराधियों का शिकार

punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 05:57 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आज के डिजिटल युग में बच्चे मोबाइल और इंटरनेट के बेहद करीब हैं। छोटी उम्र में ही उनके हाथ में स्मार्टफोन और इंटरनेट आ जाता है। मासूम और नासमझ होने की वजह से बच्चे साइबर अपराधियों के आसान शिकार बन रहे हैं। अपराधी बच्चों से पहचान की चोरी, पैसों की मांग, ब्लैकमेलिंग और कभी-कभी मानसिक व शारीरिक शोषण भी करते हैं।

बॉलीवुड से उदाहरण
हाल ही में अभिनेता अक्षय कुमार ने बताया कि उनकी 13 साल की बेटी नितारा से ऑनलाइन गेम खेलते समय एक अनजान शख्स ने अश्लील तस्वीरें मांगी थीं। नितारा ने तुरंत अपनी मां को बताया और बच गई। ऐसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, और कई मासूम बच्चे साइबर अपराधियों के जाल में फंस रहे हैं।

देश में तेजी से बढ़ता साइबर क्राइम
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराध के करीब 1,77,335 मामले दर्ज किए गए। यह पिछले साल की तुलना में 9.2% ज्यादा है। 2021 से 2022 तक साइबर अपराध में बच्चों के खिलाफ लगभग 32% की बढ़ोतरी हुई है।

बच्चों के लिए साइबर अपराध के खतरे
साइबर अपराधी सोशल मीडिया, ऐप्स और ऑनलाइन गेम्स के जरिए बच्चों को निशाना बनाते हैं। वे बच्चों का विश्वास जीतकर निजी जानकारी इकट्ठा करते हैं और इसका इस्तेमाल पैसों की वसूली, ब्लैकमेल या बैंक अकाउंट में सेंध लगाने के लिए करते हैं।

ऑनलाइन गेमिंग की लत हो सकती है जानलेवा
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक छठी कक्षा का छात्र ऑनलाइन गेम के फ्रॉड के कारण अपने पिता के बैंक अकाउंट से 14 लाख रुपये ट्रांसफर कर बैठा। जब परिवार को इसकी जानकारी हुई, तो तनाव में आकर छात्र ने आत्महत्या कर ली।

माता-पिता के लिए जरूरी सावधानियां
इंटरनेट और गेम्स के फायदे-नुकसान बताएं: बच्चों को इंटरनेट और ऑनलाइन गेम्स के सही और गलत पहलू समझाएं।
जागरूक रहें: माता-पिता को साइबर क्राइम के प्रति शिक्षित होना चाहिए। नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल और दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट की वेबसाइट पर मदद मिल सकती है।
बच्चों के व्यवहार पर नजर: अगर बच्चों के व्यवहार में अचानक बदलाव दिखे, तो उनकी ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों की जांच करें।
ओपन कम्युनिकेशन: बच्चों के साथ उनके ऑनलाइन अनुभव शेयर करें और उनसे बातचीत करें।
पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग्स: बच्चों के डिवाइस और ऐप्स पर निगरानी रखें, समय और कंटेंट लिमिट तय करें।
व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा: बच्चों को निजी जानकारी साझा न करने की शिक्षा दें और मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल सिखाएं।


अगर बच्चा साइबर अपराध का शिकार हो जाए
बच्चे को भरोसे में लेकर तुरंत घटना की शिकायत पुलिस या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर करें। स्क्रीनशॉट, मैसेज या लिंक जैसी जानकारी जमा करें। जरूरत पड़ने पर काउंसलर की मदद भी लें।


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Content Editor

Mansa Devi

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