G20 Summit से पहले कांग्रेस ने साधा केंद्र पर निशाना, कहा- सरकार की यह सबसे बड़ी विफलता

punjabkesari.in Friday, Sep 08, 2023 - 05:23 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत G20 देशों की मेजबानी कर रहा है। दुनियाभर के नेताओं का दिल्ली पहुंचना शुरू हो गया है। इटली, जापान, इंग्लैंड समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। वहीं, G20 शिखर सम्मेलन से पहले कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने केंद्र पर हमला करते हए कहा कि भारत G20 के 18वें शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है लेकिन यह एनडीए की सबसे बड़ी विपलताओं में से एक है। क्योंकि सरकार जनगणना कराने में नाकाम साबित हुई है। 2021 में 14 करोड़ नागरिक अपने भोजन के अधिकार से वंचित रह गए।
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पार्टी के प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “NDA के पास जनसंख्या का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, जबकि भारत को छोड़कर हर G20 देश ने कोविड 19 के बावजूद जनगणना कराने में कामयाबी हासिल की है। इनमें इंडोनेशिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकासशील देश भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जनगणा न होना देश के इतिहास में एक ‘अभूतपूर्व विफलता’ है।“ उन्होंने कहा, “मोदी सरकार इतनी अयोग्य और अयोग्य है कि वह भारत के सबसे महत्वपूर्ण सांख्यिकीय अभ्यास को पूरा करने में असमर्थ है, जो 1951 से तय समय पर आयोजित किया गया है। यह हमारे देश के इतिहास में एक अभूतपूर्व विफलता है।”


एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि जनगणना कराने में मोदी सरकार की विफलता के कारण अनुमानित 14 करोड़ (140 मिलियन) भारतीयों को उनके भोजन के अधिकार से बाहर कर दिया गया है। “यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत नागरिक के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसे यूपीए सरकार ने ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के माध्यम से लागू किया था।“ उन्होंने कहा, “मोदी सरकार को भारत भर के परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा के रूप में NFSA पर भरोसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसने कोविड​​-19 महामारी के दौरान सबसे गरीबों के लिए बहुत जरूरी सुरक्षा जाल प्रदान किया।”
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रमेश ने आगे कहा कि एनएफएसए के तहत  67 प्रतिशत भारतीय भोजन राशन के हकदार हैं, लेकिन चूंकि 2021 की जनगणना अभी भी लंबित है। यह 2011 की जनगणना के आधार पर केवल 81 करोड़ लोगों को एनएफएसए कवरेज प्रदान करता है जबकि 95 करोड़ भारतीय इसके हकदार हैं। उन्होंने कहा, “नए लाभार्थियों को नहीं जोड़ा जा रहा है और लोगों को कम से कम दो वर्षों से उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया था और मोदी सरकार को जनसंख्या अनुमानों का उपयोग करके इस अस्थिर स्थिति को सुधारने का निर्देश दिया था। लेकिन कोई बदलाव नहीं किया गया। यह भारी विफलता न केवल प्रधान मंत्री की सर्वोच्च न्यायालय के प्रति अवमानना ​​को दर्शाती है, बल्कि भारत के लोगों के संवैधानिक अधिकारों के प्रति उनके तिरस्कार को भी दर्शाती है।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि न केवल मोदी सरकार जनगणना कराने में विफल रही है, बल्कि 2011 में यूपीए सरकार द्वारा कराई गई सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना भी दबी हुई है। यह एक पैटर्न है कि कैसे मोदी सरकार किसी भी डेटा को बदनाम करती है, खारिज करती है या यहां तक कि उसे एकत्र करना बंद कर देती है, जो उसे अपने कथन के लिए असुविधाजनक लगता है। यहां सबसे प्रमुख उदाहरण हैं। अपने बयान में कांग्रेस नेता ने राष्ट्रीय जाति जनगणना कराने और राज्य स्तरीय जाति जनगणना प्रयासों का विरोध बंद करने की मांग की।

 


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Content Writer

Yaspal

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