Smuggling से पहले करते थे छिपकली के प्राइवेट पार्ट की पूजा, आपको भी चौंका देगा अंधविश्वास का ये केस
punjabkesari.in Friday, Mar 07, 2025 - 12:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में वन विभाग ने सागौन तस्करी के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि तस्करी करने से पहले आरोपी जंगली छिपकली (मॉनिटर लिजार्ड) के जननांग की पूजा करते थे। उनका मानना था कि इससे तस्करी में सफलता मिलेगी और पकड़े जाने का खतरा कम होगा।
कैसे हुआ खुलासा?
खंडवा वन मंडल के आंवलिया परिक्षेत्र में वन विभाग ने छापेमारी कर तस्करी में शामिल लोगों को पकड़ा। इस दौरान गैंग के सरगना कपिल विश्नोई की गिरफ्तारी हुई। उसके बाद एक और आरोपी दीपक पिता रामसिंग कोरकू को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में दीपक ने कबूल किया कि गैंग के सभी लोग जंगल में पेड़ों की कटाई से पहले वन्यजीव मॉनिटर लिजार्ड के जननांग की पूजा करते थे।
वन विभाग ने आरोपी की निशानदेही पर जंगल से वन्यजीवों के अंग भी बरामद किए। इस अपराध को लेकर आरोपी को जेल भेज दिया गया है।
गैंग के सरगना ने इंस्टाग्राम अकाउंट किया डिलीट
इस तस्करी गिरोह का मुख्य आरोपी कपिल विश्नोई है जो पेशे से रेत कारोबारी है। उसने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर हथियार लहराते हुए वीडियो भी पोस्ट किए थे लेकिन जैसे ही पुलिस ने उसके खिलाफ एक्शन लिया उसने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट कर दिया।
यह भी पढ़ें: पहले Customer को सेटिस्फाई करो तभी मिलेगा कमीशन, नहीं तो छोड़ दो नौकरी, ये है Spa Center का काला सच
गिरोह के अन्य आरोपी कौन-कौन हैं?
गिरफ्तार आरोपी दीपक ने पूछताछ में गैंग के अन्य सदस्यों के नाम भी बताए हैं जिनमें शामिल हैं:
➤ बृजमोहन उर्फ बिरजू पटेल
➤ गणेश उर्फ कुप्पा
➤ विजय पंडित
➤ मंगू सरदार
➤ हरि पवार बंजारा (नगावा निवासी)
यह भी पढ़ें: Elon Musk का स्पेसएक्स का स्टारशिप रॉकेट कैसे हुआ Crash, देखें Video
इस गिरोह का नेटवर्क हरदा जिले तक फैला हुआ है जहां तस्करी का अवैध माल शरद विश्नोई को सप्लाई किया जाता था।
वन विभाग तस्करी गैंग पर शिकंजा कसने में जुटा
वन विभाग ने इस गैंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि गिरोह के बाकी सदस्यों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और पूरे तस्करी नेटवर्क को नष्ट किया जाएगा।
क्या कहता है कानून?
मॉनिटर लिजार्ड (जंगली छिपकली) वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल-1 में शामिल है। इसका शिकार और अवयवों की तस्करी अवैध और दंडनीय अपराध है। वहीं यह मामला दिखाता है कि अवैध तस्करी के लिए अपराधी किस हद तक अंधविश्वासों पर भरोसा करते हैं। वन विभाग और पुलिस की सतर्कता से इस गिरोह का पर्दाफाश हुआ है और आगे भी ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की जा रही है।